RBI को SC की फटकार, स्वास्थ्य से बड़ा नहीं ब्याज, छूट न देना ज्यादा हानिकारक

Edited By Seema Sharma,Updated: 04 Jun, 2020 03:54 PM

sc rebukes rbi for interest waiver on emi in lockdown

सुप्रीम कोर्ट ने मासिक किस्त (EMI) पर रोक की अवधि के दौरान का ब्याज माफ करने वाली याचिका की सुनवाई 12 जून तक के लिए स्थगित कर दी लेकिन समय से पहले मीडिया के हाथों तक हलफनामा पहुंच जाने को लेकर रिजर्व बैंक को कड़ी फटकार भी लगाई। जस्टिस अशोक भूषण,...

नेशनल डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना वायरस महामारी के दौरान ऋण अदायगी स्थगित रखने की अवधि में कर्ज पर ब्याज माफ करने के सवाल पर बृहस्पतिवार को वित्त मंत्रालय से जवाब मांगा। भारतीय रिजर्व बैंक पहले ही कह चुका है कि बैंकों की माली हालत को जोखिम में डालते हुए ‘जबरन ब्याज माफ करना' विवेकपूर्ण नहीं होगा। शीर्ष अदालत ने आरबीआई को फटकार लगाते हुए कहा कि इस मामले में उसके विचारार्थ दो पहलू हैं। पहला ऋण स्थगन अवधि के दौरान कर्ज पर ब्याज नहीं और दूसरा ब्याज पर कोई ब्याज नहीं लिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि RBI ने मोरेटोरियम दिया है लेकिन ब्याज छूट नहीं दी है। ब्याज छूट न देना ज्यादा हानिकारक है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में 12 जून को अगली सुनवाई करेगा।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने वीडियो कांफ्रेन्सिग के माध्यम से इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि यह चुनौतीपूर्ण समय है और यह एक गंभीर मुद्दा है क्योंकि जहां एक ओर ऋण का भुगतान स्थगित किया गया है तो दूसरी ओर कर्ज पर ब्याज लिया जा रहा है। पीठ भारतीय रिजर्व बैंक की 27 मार्च की अधिसूचना के उस अंश को असंवैधानिक घोषित करने के लिए गजेन्द्र शर्मा की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमे ऋण स्थगन की अवधि में कर्ज की राशि पर ब्याज लिया जा रहा है। 

आगरा निवासी शर्मा ने ऋण स्थगन अवधि के दौरान की कर्ज की राशि के भुगतान पर ब्याज वसूल नहीं करने की राहत देने का सरकार और रिजर्व बैंक को निर्देश देने का अनुरोध किया है। केन्द्र की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वह इस संबंध में वित्त मंत्रालय का जवाब दाखिल करना चाहेंगे और इसके लिये उन्हें वक्त चाहिए। 


केवल बैंकों को ही कमाना चाहिएः वरिष्ठ अधिवक्ता
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव दत्त ने दत्ता ने व्यंग्यात्मक लहजे में पूछा कि क्या केवल बैंकों को ही कमाना चाहिए, बाकी किसी को कुछ हो जाए? उन्होंने एयर इंडिया की बीच वाली सीट खाली रखने के मामले में हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई उस टिप्पणी का भी हवाला दिया जिसमें उसने कहा था कि जनता का स्वास्थ्य विमानन कंपनियों के लाभ से ज्यादा महत्वपूर्ण है। इस पर न्यायमूर्ति भूषण ने कहा कि उन्हें मालूम है कि आर्थिक पहलू जनता के स्वास्थ्य से बड़ा नहीं होना चाहिए। शीर्ष अदालत ने इसके बाद मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख 12 जून मुकर्रर की और उस दिन तक याचिकाकर्ताओं को अपना जवाबी हलफनामा दायर करने को कहा।

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