Edited By vasudha,Updated: 31 Mar, 2020 11:18 PM
कोरोना वायरस के कारण देशव्यापी लॉकडाउन के चलते बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों के अपने गृहनगरों एवं गांवों की ओर पैदल ही लौटने की घटनाओं पर उच्चतम न्यायालय ने संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार को कमेटी बनाने का निर्देश दिया। दिल्ली से अपने घरों के लिए...
नेशनल डेस्क: कोरोना वायरस के कारण देशव्यापी लॉकडाउन के चलते बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों के अपने गृहनगरों एवं गांवों की ओर पैदल ही लौटने की घटनाओं पर उच्चतम न्यायालय ने संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार को कमेटी बनाने का निर्देश दिया। दिल्ली से अपने घरों के लिए दूसरे राज्यों को पलायन कर रहे मज़दूरों को भोजन, परिवहन, मेडिकल सहित अन्य पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की।
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) एसए बोवडे ने कहा कि आपको भजन-कीर्तन-नमाज या फिर कुछ करना पड़े लेकिन आपको मजदूरों को कोरोना वायरस के बारे में समझाना होगा। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हम धर्मगुरुओं, मौलवियों और साधुओं को इकट्ठा करेंगे और उन्हें शेल्टर होम ले जाएंगे। मजदूरों की काउंसलिंग भी कराएंगे।
तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 22 लाख 88 हजार से अधिक लोगों को भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। ये जरूरतमंद व्यक्ति, प्रवासी और दिहाड़ी मजदूर हैं। उन्हें आश्रयों में रखा गया है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन की वजह से पैनिक का हल निकालने के लिए परामर्श प्रदान करने पर विचार कर रहे हैं। केंद्र सरकार ने बताया कि देश के गांवों में अभी तक कोरोना संक्रमण नहीं पहुंचा है, लेकिन शहरों से गांव की तरफ हुए पलायन से इसकी आशंका बढ़ गई है।
सरकार ने दावा किया कि अब पलायन पर रोक लग गई है, अब कोई भी सड़क पर नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम एक आदेश पारित कर रहे हैं कि कोरोना की जानकारी के लिए केंद्र सरकार 24 घंटे में पोर्टल स्थापित करेंगे। सरकार यह भी सुनिश्चित करे कि जिन लोगों का प्रवास आपने बंद किया है उन सभी को भोजन, आश्रय, पोषण और चिकित्सा सहायता के मामले में ध्यान रखा जाए। केंद्र ने कहा अभी पलायन रुक गया है। लेकिन जो गए हैं उनमें 10 में 3 संदिग्ध हो सकते हैं।