मराठा आरक्षण: कानूनी वैधता के खिलाफ दायर याचिका पर शीघ्र सुनवाई पर विचार करेगा SC

Edited By vasudha,Updated: 29 Jul, 2019 02:31 PM

sc to consider urgent hearing of pleas against maratha quota law validity

उच्चतम न्यायालय ने सरकारी नौकरियों एवं शिक्षा में मराठा समुदाय को आरक्षण देने संबंधी महाराष्ट्र के कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर तत्काल सुनवाई करने के अनुरोध पर विचार करने पर सहमति जताई...

नेशनल डेस्क: उच्चतम न्यायालय ने सरकारी नौकरियों एवं शिक्षा में मराठा समुदाय को आरक्षण देने संबंधी महाराष्ट्र के कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर तत्काल सुनवाई करने के अनुरोध पर विचार करने पर सहमति जताई। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ ने एक वकील के इस कथन पर गौर किया कि जिन याचिकाओं को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध होना था, वे न्यायालय की कार्यसूची में नहीं है। 

 

पीठ ने मामले पर तत्काल सुनवाई के अनुरोध पर कहा कि आप मेमो दीजिए। हम इस पर गौर करेंगे। शीर्ष अदालत में मराठा आरक्षण को सही ठहराने के बंबई उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ जे लक्ष्मण राव पाटिल और वकील संजीत शुक्ला की याचिका लंबित है। इन याचिकाओं में बंबई उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई है जिसमें आरक्षण की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा गया। 

 

उच्च न्यायालय ने अपने 27 जून के फैसले में कहा था कि कुल आरक्षणों पर उच्चतम न्यायालय की ओर से लगाई गई 50 प्रतिशत की सीमा को अपवाद की परिस्थितियों में पार किया जा सकता है। “यूथ फॉर इक्वेलिटी” के प्रतिनिधि शुक्ला ने अपनी याचिका में कहा कि सामाजिक एवं आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग (एसईबीसी) कानून, 2018 शीर्ष अदालत द्वारा इंदिरा साहनी मामले में दिए गए ऐतिहासिक फैसले में आरक्षण पर लगाई गई 50 प्रतिशत सीमा का उल्लंघन है। इस फैसले को “मंडल आदेश” भी कहा जाता है। इस कानून का मकसद सरकारी नौकरियों एवं शिक्षा में मराठा समुदाय को आरक्षण देना था।
 

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