सुप्रीम कोर्ट से संसद तक, जानिए तीन तलाक बिल पर कब-कब क्या हुआ?

Edited By Yaspal,Updated: 30 Jul, 2019 07:12 PM

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राज्यसभा में मंगलवार को मोदी सरकार को ऐतिहासिक जीत मिली है। राज्यसभा में पेश तीन तलाक विधेयक 84 मतों के मुकाबले 99 मतों से पास हो गया। मंगलवार को ऊपरी सदन से पारित तीन तलाक से संबंधित विधेयक की नींव शायरो बानो...

नेशनल डेस्कः राज्यसभा में मंगलवार को मोदी सरकार को ऐतिहासिक जीत मिली है। राज्यसभा में पेश तीन तलाक विधेयक 84 मतों के मुकाबले 99 मतों से पास हो गया। मंगलवार को ऊपरी सदन से पारित तीन तलाक से संबंधित विधेयक की नींव शायरो बानो मामले में उच्चतम न्यायालय के उस फैसले के साथ पड़ी जिसमें शीर्ष अदालत ने इस परंपरा को गैर-कानूनी करार दिया था। इसके बाद सरकार इस पर तीन बार अध्यादेश लायी और तीसरी बार संसद में विधेयक लाया गया। उच्चतम न्यायालय का वह ऐतिहासिक फैसला 22 अगस्त 2017 को आया था।
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सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मुस्लिम महिलाओं की आजादी को मिला बल
शायरा बानो बनाम सरकार एवं अन्य तथा इससे संबंधित अन्य मामलों की सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय के 22 अगस्त 2017 के फैसले में तलाक-ए-बिद्दत के जरिये मुस्लिम पतियों द्वारा उनकी पत्नियों को तलाक देने की परंपरा को गैर-कानूनी करार दे दिया गया था। उस फैसले से तीन तलाक के ‘‘सदियों पुराने मनमौजी एवं सनकी तरीके'' से भारतीय मुस्लिम महिलाओं की आजादी को बल मिला।
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सरकार पहली बार 28 दिसंबर 2017 को मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2017 लोकसभा में लेकर आयी। यह विधेयक 28 दिसंबर 2017 को लोकसभा में पारित भी हो गया, लेकिन राज्यसभा में विपक्ष के विरोध के कारण विधेयक पेश नहीं किया जा सका। इस विधेयक पर विपक्ष की कुछ आपत्तियाँ थीं।
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जानिए तीन तलाक बिल पर अब तक क्या हुआ

  • 22 अगस्त 2017 : शायरा बानो मामले में उच्चतम न्यायालय का फैसला, तलाक-ए-बिद्दत गैर-कानूनी घोषित
  • 28 दिसंबर 2017 : मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2017 लोकसभा में पेश
  • 28 दिसंबर 2017 : मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2017 लोकसभा में पारित
  • 19 सितंबर 2018 : मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अध्यादेश, 2018
  • 17 दिसंबर 2018 : मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2018 लोकसभा में पेश
  • 27 दिसंबर 2018 : मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2018 लोकसभा में पारित
  • 12 जनवरी 2019 : मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अध्यादेश, 2019
  • 21 फरवरी 2019 : मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) दूसरा अध्यादेश, 2019
  • 21 जून 2019 : मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2019 लोकसभा में पेश
  • 25 जुलाई 2019 : मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2019 लोकसभा में पारित।
  • 30 जुलाई 2019: ऐतिहासिक क्षण, मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2019 राज्यसभा से पास

विपक्ष की आपत्तियों बाद सरकार ने विधयेक में किया संशोधन
विपक्ष का कहना था कि आरोपी पति की जमानत का कोई प्रावधान नहीं होना, सुलह का कोई प्रावधान नहीं होना और किसी भी व्यक्ति को प्राथमिकी दर्ज कराने का अधिकार देना उचित नहीं है। सरकार इन तीनों आपत्तियों को दूर करने के लिए संशोधन करते हुये कानून को लागू करने के लिए 19 सितंबर 2018 को अध्यादेश ले आयी। उसने मजिस्ट्रेट द्वारा जमानत का प्रावधान किया। पीड़िता को सुनने के बाद मजिस्ट्रेट को यथोचित शर्तों पर सुलह कराने का भी अधिकार दिया गया। साथ ही किसी भी व्यक्ति की जगह प्राथमिकी दर्ज कराने का अधिकार सिर्फ पीड़िता या उसके खून के रिश्तेदार या शादी से बने रिश्तेदार तक सीमित कर दिया गया।
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21 फरवरी 2019 को लेकर आई दूसरी बार अध्यादेश
तीनों संशोधनों के साथ नये स्वरूप में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2018 को 17 दिसंबर 2018 को लोकसभा में पेश किया गया। यह विधेयक 27 दिसंबर 2018 को लोकसभा में पारित हो गया, लेकिन एक बार फिर इसे राज्यसभा में पेश नहीं किया जा सका।

संसद में पारित न होने के कारण सरकार ने 12 जनवरी 2019 को दूसरी बार अध्यादेश जारी किया। पिछली लोकसभा के अंतिम सत्र में भी विधेयक को राज्यसभा में नहीं रखा जा सका जिसके कारण सत्र समाप्त होने के बाद 21 फरवरी 2019 को तीसरी बार अध्यादेश लाया गया।

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