फोटो में देखें किस कदर पढ़ने को मजबूर हैं यह स्कूली बच्चे...

Edited By ,Updated: 14 Dec, 2016 12:11 PM

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सरकारी स्कूल जहां एक ओर बच्चों के खराब रिजल्ट से जूझ रहे हैं, वहीं सरकारी स्कूलों में बैंचों की कमी के चलते सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों को टाट पर ही शिक्षा का पढऩा मजबूरी बन चुका है।

पंचकूला(संजय) : सरकारी स्कूल जहां एक ओर बच्चों के खराब रिजल्ट से जूझ रहे हैं, वहीं सरकारी स्कूलों में बैंचों की कमी के चलते सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों को टाट पर ही शिक्षा का पढऩा मजबूरी बन चुका है। जहां शिक्षा विभाग के लिए सरकारी स्कूलों के रिजल्ट को सुधारना बड़ी चुनौती है। इस चुनौती से पहले स्कूलों में बिगड़ी व्यवस्था को सुधारना भी बड़ी जरूरत है। जब तक स्कूलों में बच्चों को पढऩे के लिए बेहतर व्यवस्थाएं ही नहीं मिलेगी, तब तक स्कूलों के बेहतर परिणाम आने की उम्मीद करना बेमानी होगा।

 

हालांकि इस बार तो स्कूलों में किताबें भी सही समय पर नहीं आईं। अभिभावकों के लिए यह चिंता के विषय है। यहीं कारण है कि ज्यादात्तर लोग अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों की बजाय निजी स्कूलों में पढ़ाना बच्चों के भविष्य के लिए बेहतर समझते हैं। अब शिक्षा विभाग यह बिगड़ी व्यवस्था कब तक सुधारता है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। फिलहाल सरकारी स्कूलों की व्यवस्था देखकर अभिभावकों को अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंता करना जायज है।

 

सरकारी स्कूलों में टाट पर बैठकर कब तक पढ़ते रहेंगे बच्चे...
सरकारी स्कूलों में बैंच नहीं होने के चलते बच्चे टाट पर ही शिक्षा का पाठ पढऩे को मजबूर हैं। यहां तक कई स्कूलों में तो टाट भी नजर नहीं आते और बच्चे बिना टाट के जमीन पर अपनी शिक्षा आगे बढ़ाने को मजबूर हैं। सवाल उठता है कि आखिर बढ़ती सर्दी में बच्चों को जमीन पर बिठाना कहां तक जायज है। बच्चों के साथ-साथ सरकारी स्कूलों को भी इसका इंतजार है कि सरकारी स्कूलों में बैंच कब आएगें क्योंकि हर बार विभाग का कोई न कोई बहाना होता है। कभी बजट की कमी तो कभी विभाग की अपनी मजबूरियां। इस बार विभाग जल्द बैंचों के लिए टैंडर लगाने की बातें कर रहा है लेकिन उसकी यह बातें कब सच होंगी अभी कहा नहीं जा सकता।

 

प्राइमरी और मिडिल के लिए 1067 बैंचों की भेजी रिक्वायरमैंट :
जिला के सरकारी स्कूलों में जहां प्राइमरी से लेकर सीनियर सैकेंडरी तक के स्कूलों में बच्चों के बैठने के लिए बैंचों की कमी है। प्राइमरी और मिडिल स्कूलों में करीब 1067 बैंचों की कमी है। इसके चलते स्कूली बच्चे टाट पर बैठ कर पढ़ाई करने को मजबूर हैं। जिला शिक्षा विभाग ने स्कूलों में बैंचों की कमी को समझते हुए शिक्षा विभाग को अपनी जरूरत बता दी है। साथ ही स्कूलों की रिक्वायरमैंट लेकर विभाग तक पहुंचा दिया है। अब सूत्रों के अनुसार बैंचों का टैंडर लगने के बाद सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों को टाट से मुक्तिमिलने की उम्मीद है।

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