दिग्गज वैज्ञानिक माधवन नायर ने ISRO को चेताया, किसी भी ढांचागत बदलाव पर जरूर विचार करें

Edited By Seema Sharma,Updated: 17 Jun, 2020 03:56 PM

scientist madhavan nair warns about structural changes in isro

दिग्गज अंतरिक्ष वैज्ञानिक जी माधवन नायर ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में किसी प्रकार के ढांचागत बदलाव के प्रति चेताया है। इस दौरान उन्होंने देश की अंतरिक्ष एजेंसी और एलन मस्क की ''स्पेसएक्स'' के बीच काम पूरा करने की शानदार क्षमता के लिए...

नेशनल डेस्कः दिग्गज अंतरिक्ष वैज्ञानिक जी माधवन नायर ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में किसी प्रकार के ढांचागत बदलाव के प्रति चेताया है। इस दौरान उन्होंने देश की अंतरिक्ष एजेंसी और एलन मस्क की 'स्पेसएक्स' के बीच काम पूरा करने की शानदार क्षमता के लिए ये एकीकृत कमान होने के मामले में समानता का जिक्र किया। इसरो के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि हाल में कुछ मीडिया रिपोर्ट में औद्योगिक भागीदारी करने को लेकर भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के अप्रभावी होने की खबरें आईं और इस क्षेत्र में अधिक विस्तार के लिए ढांचा में संभावित बदलाव का सुझाव दिया गया। उन्होंने कहा कि लोगों को अब तक हुए विकास और विस्तार के बारे में तथ्यात्मक स्थिति जानने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि इसरो सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला सरकारी संगठन है, जिसने बेहद अत्याधुनिक अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में भी पूर्णत: स्वदेशी तरीके से महारत हासिल की और समय से अंतरिक्ष मिशन को अंजाम देकर आम लोगों की आवश्यकताओं और सुरक्षा जरूरतों का भी खयाल रखा।

 

नायर ने कहा कि यह दूरगामी दृष्टिकोण है जिसने भारत को वैश्विक अंतरिक्ष ताकतों के बीच अग्रिम कतार में जगह हासिल करने में सक्षम बनाया है। हाल ही में सरकार ने कहा था कि निजी क्षेत्रों को इसरो के प्रतिष्ठानों और सुविधाओं का इस्तेमाल करने की इजाजत दी जाएगी और उन्हें उपग्रह, प्रक्षेपण और अंतरिक्ष आधारित सेवाओं में समान अवसर दिया जाएगा। नायर ने कहा कि स्पेसएक्स को निजी अंतरिक्ष प्रक्षेपण वाहन विकास के क्षेत्र में सफलता की कहानी के तौर पर देखा जाता है और ऐसा है भी। उन्होंने अमेरिका में अंतरिक्ष कार्यक्रम के इतिहास को याद किया। उन्होंने कहा कि नासा के कार्यक्रमों के कुप्रबंधन की वजह से निजी क्षेत्र को लाभ मिला। उन्होंने कहा कि एलन मस्क की स्पेसएक्स और इसरो के बीच समानता पर गौर करना दिलचस्प है। दोनों के पास एक ही कमान के तहत एकीकृत प्रणाली है और दोनों एक छत/उत्पादन अवधारणा से चलते हैं और बाहर के उत्पादन पर लगभग नहीं के बराबर निर्भर हैं।

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