मुर्गों को वायरस से बचाने को वैज्ञानिकों बदल डाला डीएनए, बर्ड फ्लू मुक्त पोल्ट्री उत्पादन पर चल रहा है कार्य

Edited By Suraj Thakur,Updated: 13 Jan, 2021 10:41 AM

scientists change dna to protect chickens from virus

मुर्गे खाने के शौकीनों और पोल्ट्री इंडस्ट्री को जीवित रखने के वैज्ञानिक स्तर पर लगातार प्रयास जारी हैं। खास कर ब्रिटेन में मुर्गों में H5N1 न फैले इसके लिए इंपीरियल कॉलेज लंदन और यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग का रोजलिन इंस्टीट्यूट 2019 से लगातार प्रयास कर...

जालंधर (सूरज ठाकुर) : मुर्गे खाने के शौकीनों और पोल्ट्री इंडस्ट्री को जीवित रखने के वैज्ञानिक स्तर पर लगातार प्रयास जारी हैं। खास कर ब्रिटेन में मुर्गों में H5N1 न फैले इसके लिए इंपीरियल कॉलेज लंदन और यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग का रोजलिन इंस्टीट्यूट 2019 से लगातार प्रयास कर रहा है। दोनों संस्थानों के वैज्ञानिकों ने बर्ड फ्लू रोकने के लिए एक प्रयोग के जरिए पोल्ट्री के मुर्गे और मुर्गियों का उनके जीन्स से वो मॉलिक्यूल्स ही बाहर निकाल दिए जो बर्ड फ्लू का कारण बनते हैं। इस प्रकार का प्रयोग करने के बाद वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि विश्वभर के पोल्ट्री फार्मों में बर्ड फ्लू रहित मुर्गे और मुर्गियों को जन्म दिया जा सकता है। जिनका चिकन और अंडे खाना बिल्कुल सेफ होगा। जानकारी के मुताबिक इस प्रयोग पर ट्रायल जारी हैं। यह प्रयोग बड़े स्तर पर सफल होता है तो जहां विश्व भर के खरबों के पोल्ट्री उद्योगपति राहत की सांस लेंगे वहीं पोल्ट्री के प्रोडक्ट्स के शैकीन लोगों का बर्ड फ्लू से हमेशा के लिए डर समाप्त हो जाएगा।  

 

ऐसे मुर्गे से अलग किया वायरस फैलाने वाला वायरस 
शोधकर्ताओं ने पाया कि मुर्गे और मुर्गियों में ANP32A एक मॉलिक्यूल है जो इनमें वायरस को जन्म देता है। उन्होंने समझा की इस मॉलिक्यूल को बर्ड फ्लू वायरस अपहरण कर लेता है और खुद का विस्तार करते हैं। रोजलिन इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों के साथ शोधकर्ताओं ने ANP32A के उत्पादन के लिए जिम्मेदार डीएनए के हिस्से को हटाने के लिए जीन-एडिटिंग तकनीक का उपयोग किया। इस तकनीक से उन्होंने ANP32A को डीएनए से अलग कर दिया। ऐसा करने के बाद शोधकर्ताओं ने पाया कि वायरस डीएनए में किए गए बदलाव के बाद मुर्गे मुर्गियों की कोशिकाओं में प्रवेश करने में असमर्थ था।

 

पत्रिका ई लाइफ में प्रकाशित हुआ शोध
वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं की यह टीम अब आनुवंशिक परिवर्तन के साथ मुर्गियों का उत्पादन करने की कोशिश कर रही है। अध्ययन यूके सरकार के जैव प्रौद्योगिकी और जैविक विज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा फाइनैंस किया गया था। पीएचडी छात्रों को फाइनैंस वैश्विक पोल्ट्री अनुसंधान कंपनी कोब-वैंट्रेस द्वारा प्रदान किया गया था। शोध पत्रिका ई लाइफ में प्रकाशित हुआ है।

 

जंगली चिड़ियों और मुर्गियों में तेजी से फैलता वायरस
बर्डफ्लू का वायरस जंगली चिड़ियों और मुर्गियों में बहुत तेजी से फैलता है और यहां से यह कई बार इंसानों तक पहुंच जाता है। दुनिया में इस तरह फैलने वाली संक्रामक बीमारियों के विशेषज्ञ बर्डफ्लू के इंसानों तक पहुंचने के खतरे से बहुत चिंतित हैं। वैश्विक स्वास्थ्य और संक्रामक रोग विशेषज्ञों ने इसे अपनी सबसे बड़ी चिंताओं में से एक के रूप में परिभाषित किया है, क्योंकि यह बहुत आसानी से हवा पर सवार हो कर इंसानों तक पहुंच जाता है और फिर एक इंसान से दूसरे इंसान में फैलने लगता है। बर्ड फ्लू के कारण होने वाली ‘मानव फ्लू महामारी’की आशंका जो अचानक ही मनुष्यों के लिए घातक तथा जानलेवा हो सकती है आसानी से लोगों के बीच प्रवेश कर सकती है।

 

क्या कहते हैं शोधकर्ता
रिसर्च का नेतृत्व करने वाले वैज्ञानिकों में यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग का रोजलिन इंस्टीट्यूट मार्क मैकग्रियू का कहना है कि "यह महत्वपूर्ण पहल है जो बताती है कि हम बर्ड फ्लू प्रतिरोधी मुर्गियों का उत्पादन करने के लिए जीन-एडिटिंग तकनीकों का उपयोग करने में सक्षम हो सकते हैं। उनका कहना है कि इससे पहले कि हम यह अगला कदम उठाएं हमें यह जांचने की आवश्यकता है कि क्या डीएनए परिवर्तन का पक्षी कोशिकाओं पर कोई अन्य प्रभाव पड़ता है क्योंकि हमने अभी तक किसी भी पक्षी का उत्पादन नहीं किया है। इस तकनीक का प्रयोग भविष्य में अन्य पक्षियों पर भी किया जा सकेगा।

 

अगली फ्लू महामारी को रोक सकता है यह शोध
इन्फ्लुएंजा वायरोलॉजी, इंपीरियल कॉलेज लंदन में अध्यक्ष प्रोफेसर वेंडी बार्कले का कहना है कि हम लंबे समय से जानते हैं कि मुर्गियां फ्लू वायरस के एक बड़ा तालाब हैं जो अगले महामारी को जन्म दे सकती हैं। इस शोध में हमने मुर्गियों के लिए सबसे छोटे संभव आनुवंशिक परिवर्तन की पहचान की है जो वायरस को फैलने से रोकने में मदद कर सकते हैं। यह अपने स्रोत पर अगले फ्लू महामारी को रोकने की क्षमता रखता है।

 

पोल्ट्री प्रजनन को आगे बढ़ाना लक्ष्य
जीनोमिक्स और क्वांटिटेटिव जेनेटिक्स के वरिष्ठ निदेशक राहेल हॉकिन का कहते हैं कि ब्रायलर उत्पादन में एवियन इन्फ्लूएंजा प्रतिरोध का वैश्विक महत्व है।यह अनुसंधान उस लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है जो भविष्य में पोल्ट्री प्रजनन को आगे बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। 

 

  • 10 राज्यों में एवियन इन्फ्लुएंजा (बर्ड फ्लू) की पुष्टि हो गई है। आईसीएआर-एनआईएचएसएडी ने राजस्थान के टोंक, करौली, भीलवाड़ा जिलों और गुजरात के वलसाड, वडोदरा और सूरत जिलों में कौवों और प्रवासी/जंगली पक्षियों की मौत होने की पुष्टि की है।
  • इसके अलावा, उत्तराखंड के कोटद्वार और देहरादून जिलों में भी कौवों की मौत होने की पुष्टि हुई है। नई दिल्ली में कौवों और संजय झील क्षेत्रों में बत्तखों की मौत होने की भी जानकारी मिली है।
  • इसके अलावा, परभानी जिले में मुर्गियों के बर्ड फ्लू से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है, जबकि महाराष्ट्र के मुंबई, ठाणे, दापोली और बीड में भी बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है।
  • हरियाणा में, इस बीमारी की रोकथाम और नियंत्रण के लिए संक्रमित पक्षियों की कुल्लिंग का काम जारी है। एक केन्द्रीय दल ने हिमाचल प्रदेश का दौरा किया है और यह दल उपरिकेंद्र स्थलों की निगरानी करने और महामारीविज्ञान संबंधी जांच-पड़ताल करने के लिए पंचकूला पहुंचा। 
  • हरियाणा के पंचकुला जिले की दो पोल्ट्री (मुर्गीपालन फार्म) से लिए गए नमूनों में एवियन इन्फ्लुएंजा के सकारात्मक होने की पुष्टि के बाद, राज्य सरकार ने 9 त्वरित कार्रवाई दलों को तैनात किया है और दोनों ही स्थानों पर नियंत्रण एवं निपटान अभियान चलाया जा रहा है।

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