देश में फिर बढ़ रहे कोरोना के मामले, वैज्ञानिक बोले- तीसरी लहर घोषित करना जल्दबाजी

Edited By Yaspal,Updated: 04 Aug, 2021 06:38 PM

scientists said  it is too early to declare third wave

विशेषज्ञों का कहना है कि कई राज्यों में कोविड-19 के बढ़ते मामले और उनसे संक्रमित होने वाले की प्रभावी संख्या संकेत है कि कितनी तेजी से संक्रमण फैल रहा है लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है बल्कि एहतियात बरतने...

नेशनल डेस्कः विशेषज्ञों का कहना है कि कई राज्यों में कोविड-19 के बढ़ते मामले और उनसे संक्रमित होने वाले की प्रभावी संख्या संकेत है कि कितनी तेजी से संक्रमण फैल रहा है लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है बल्कि एहतियात बरतने और टीकाकरण कराने की जरूरत है। वैज्ञानिकों ने इसके साथ ही जोर देकर कहा है कि इसे तीसरी लहर की शुरुआत घोषित करना बहुत जल्दबाजी होगी। भारत में कोविड-19 के ग्राफ पर नजर रखने वाले और कुछ हिस्सों में मामलों में वृद्धि को रेखांकित करने वाले कई वैज्ञानिकों का कहना है कि यह भी हो सकता है कि दूसरी लहर ही समाप्त नहीं हुई हो।

हरियाणा स्थित अशोक विश्वविद्यालय में भौतिक शास्त्र और जीविज्ञान विभाग में प्रोफेसर गौतम मेनन ने कहा, उदाहरण के लिए पूर्वोत्तर राज्यों में मामले न्यूनतम स्तर पर नहीं गए जैसा कि दिल्ली और अन्य उत्तरी राज्यों में देखने को मिला। उन्होंने कहा, ‘‘इस प्रकार, संभव है कि हम दूसरी लहर की निरंतरता को देख रहे हैं बजाय कि नयी कोविड-19 लहर की शुरुआत होने की।’’

चेन्नई स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ मैथमेटिकल साइसेंज के अनुसंधानकर्ताओं ने नवीनतम विश्लेषण के मुताबिक सात मई के बाद पहली बार भारत में ‘आर’ संख्या (एक संक्रमित द्वारा दूसरे लोगों को संक्रमित करने की संभावना संख्या में) एक को पार कर गयी है।

महामारी के शुरुआत से ही ‘आर’ मूल्य पर नजर रख रहे चेन्नई स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ मैथमेटिकल साइसेंज के अनुसंधानकर्ता सीताभ्र सिन्हा ने कहा कि यह चिंताजनक स्थिति है कि आर की संख्या किसी एक क्षेत्र में मामले बढ़ने से नहीं बढ़े हैं बल्कि कई राज्यों में ‘आर’ मूल्य एक से अधिक हो गया है। उन्होंने कहा, ‘‘केरल में एक महीने से आर मूल्य एक से अधिक है जबकि पूर्वोत्तर राज्यों में जहां दूसरी लहर का प्रकोप अब तक कम नहीं हुआ है जुलाई के शुरुआत से ही यह उच्च स्तर पर बना हुआ है।

सिन्हा ने हमने देखा कि पिछले एक सप्ताह में कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा और संभवत: उत्तराखंड में ‘आर’ (रिप्रोडक्शन) मूल्य एक को पार कर गया है। चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरु और दिल्ली जैसे शहरों में भी आर मूल्य एक से ऊपर दिखाई दे रहा है। यह संकेत कर रहा है कि देश के विभिन्न हिस्सों में बिखरे सक्रिय मामलों को नियंत्रित करने में मुश्किल आएगी।

सिन्हा ने कहा कि समय की मांग है कि हम कोविड-19 अनुकूल नियमों के अनुपालन पर जोर दें। दिल्ली के फिजिशियन और महामारी विशेषज्ञ चंद्रकांत लहरिया ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हमें महामारी के लिए तैयार रहना चाहिए लेकिन भयभीत नहीं। यह समय है कि लोग मास्क पहने और टीका लगवाएं।’’ उन्होंने कहा कि संक्रमण के मामले संकेत दे रहे हैं कि सतर्क रहने की जरूरत है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमें भारत में सामने आ रहे मामलों में राज्यों की हिस्सेदारी नहीं देखनी चाहिए। यह बहुत मददगार साबित नहीं होगी बल्कि हमें राज्यों की तुलना बंद करनी चाहिए। इसके बजाय बेहतर रिपोर्टिंग प्रणाली और निगरानी को बीमारी की कमजोर पहचान प्रणाली से तुलना करनी चाहिए। महामारी की लहर या चक्र का केवल अकादमिक महत्व है। अगर मामले बढ़ रहे हैं तो इससे फर्क नहीं पड़ता कि वह दूसरी लहर है या नयी लहर शुरू हो गई है। ’’

वैज्ञानिक गौतम मेनन ने भी सहमति जताई कि अभी महामारी की तीसरी लहर घोषित करना जल्दबाजी होगी और कहा कि बढ़ते मामले चिंता का सबब है। दिल्ली-एनसीआर स्थित शिव नादर विश्वविद्यालय में प्रकृति विज्ञान स्कूल के डीन संजीव गलांडे का मानना है कि यह तीसरी लहर की शुरुआत है या नहीं इसका पूर्वानुमान लगाना अभी जल्दबाजी होगी। उन्होंने कहा, राष्ट्रीय स्तर पर औसत मामलों में उल्लेखनीय बदलाव नहीं आया है। कुछ राज्यों में मामूली वृद्धि देखी गई है। ऐसे में तीसरी लहर की शुरुआत के बारे में पूर्वानुमान लगाना अभी जल्दबाजी होगी।

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