Edited By shukdev,Updated: 13 Jun, 2019 07:23 PM
पूंजी बाजार नियामक सेबी गुरुवार को साख निर्धारण एजेंसियों के लिए सार्वजनिक सूचना के कड़े नियम जारी किए जिनके तहत उन्हें रेटिंग वाले विभिन्न वित्तीय उत्पादों के लिए चूक की संभाव्यता के बारे में जानकारी देनी होगी। रेटिंग कंपनियों को ऋण चूक की...
नई दिल्लीः पूंजी बाजार नियामक सेबी गुरुवार को साख निर्धारण एजेंसियों के लिए सार्वजनिक सूचना के कड़े नियम जारी किए जिनके तहत उन्हें रेटिंग वाले विभिन्न वित्तीय उत्पादों के लिए चूक की संभाव्यता के बारे में जानकारी देनी होगी। रेटिंग कंपनियों को ऋण चूक की निगरानी और उसकी समय से सूचना के बारे में एक जैसी मानक परिचालन प्रक्रिया लागू करनी होगी और उसे अपनी कंपनी की वेबसाइट पर प्रकाशित करना होगा। नियामक ने यह कदम ऐसे समय उठाया है जब कर्ज लौटाने में चूक के मामले तथा साख निर्धारण एजेंसियों की जोखिम संभाव्यता का आकलन करने की भूमिक को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं। आईएल एंड एफएस मामले में साख निर्धारण एजेंसियां जांच के घेरे में हैं।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने चूक की निगरानी और समय पर उसका पता लगाने के संदर्भ में साख निर्धारण एजेंसियों के लिए खुलासा का दायरा बढ़ाते हुए एक समान मानक परिचालन प्रक्रिया पर जोर दिया है। इस बारे में प्रत्येक क्रेडिट रेटिंग की वेबसाइट पर जानकारी देनी होगी। इसके अलावा एजेंसियों को चूक मानकों की संभाव्यता मानकों को लाना होगा। इसमें कहा गया है कि सीआरए जो भी वित्तीय उत्पादों का साख निर्धारण करती हैं उनके बारे में मानकीकृत तथा एक समान चूक संभाव्यता मानदंडों की घोषणा वे अपनी वेबसाइट पर करे। उन्हें यह 31 दिसंबर 2019 तक करना है।
केन्द्र सरकार ने फैसला लिया है कि जो कंपनियां जानबूझकर अपने ही बही खाते में घाटा दिखा कर ठगते हैं उनको ज्याद टैक्स भरना पड़ेगा। बता दें कि हाल ही में नोटबंदी, फिर फर्जी कंपनियों के सफाये के बाद सरकार ने उन कंपनियों को टैक्स के दायरे में लाने की तैयारी में जुट गयी। केंद्र सरकार ऐसी कंपनियों पर टैक्स का शिकंजा कस सकती है। सरकार इसके लिए न्यूनत वैकल्पिक टैक्स के नियमों में बदलाव करने का विचार कर रही है। वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक आने वाले बजट या उसके बाद सरकार बही खाते में घाटा दिखाने वाली कंपनियों पर टैक्स लगा सकती है।