Edited By Pardeep,Updated: 18 May, 2021 09:15 PM
कोरोना की दूसरी लहर ने पूरे देश में तबाही मचाए हुए है। लेकिन इन सबके बीच पहली लहर की अपेक्षा इस बार इस महामारी के शिकार सबसे ज्यादा पत्रकार हुए हैं। वैसे पहली लहर की
नई दिल्लीः कोरोना की दूसरी लहर ने पूरे देश में तबाही मचाए हुए है। लेकिन इन सबके बीच पहली लहर की अपेक्षा इस बार इस महामारी के शिकार सबसे ज्यादा पत्रकार हुए हैं। वैसे पहली लहर की अपेक्षा इस बार संक्रमितों से लेकर मौत तक के आंकड़े काफी बढ़े हैं। लेकिन अगर फ्रंट लाइन की बात की जाए तो इस बार कोरोनावायरस के शिकार सबसे ज्यादा पत्रकार हुए हैं। क्योंकि इनका काम तो फ्रंट लाइन की ही तरह रहा, लेकिन सरकार ने इन्हें फ्रंट लाइन कभी समझा ही नहीं। नतीजन, सैकड़ों पत्रकार इस महामारी के चलते असमय मौत के शिकार हो गए।
कोरोना की पहली और दूसरी लहर में ग्राउंड पर जाकर रिपोर्टिंग कर रहे रिपोर्टरों और लगातार ऑफिस जा रहे पत्रकारों को न तो फ्रंट लाइन वर्कर माना गया और न ही उनको वैक्सीन में प्राथमिकता मिली। परिणाम ये हुआ कि कई नामी गिरामी पत्रकारों सहित अलग-अलग राज्यों में 300 से ज्यादा मीडियाकर्मी कोरोना की चपेट में आकर जान गंवा चुके हैं।
इसे त्रासदी ही कहेंगे कि अप्रैल के महीने में हर रोज औसतन तीन पत्रकारों ने कोरोना के चलते दम तोड़ा। मई में यह औसत बढ़कर हर रोज चार का हो गया। कोरोना की दूसरी लहर में देश ने कई वरिष्ठ पत्रकारों को खो दिया। जिले, कस्बे, गांवों में काम कर रहे तमाम पत्रकार भी इस जानलेवा वायरस के सामने हार गए। दिल्ली आधारित इंस्टीट्यूट ऑफ परसेप्शन स्टडीज की एक रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल 2020 से 16 मई 2021 तक कोरोना संक्रमण से कुल 238 पत्रकारों की मौत हो चुकी है।