वैज्ञानिकों के लिए रहस्य है ब्रह्मांड का ‘डार्क मैटर’, जानिए आखिर क्यों?

Edited By Chandan,Updated: 08 May, 2020 08:54 PM

secret to scientists is the  dark matter  of the universe

वैज्ञानिकों की माने तो ब्रह्मांड का 80% हिस्सा ऐसे पदार्थों से बना हुआ है जिसका वैज्ञानिक पता नहीं लगा सकते और इसे ही वैज्ञानिक डार्क मैटर का नाम देते हैं।

नई दिल्ली/डेस्क। ब्रह्मांड में बहुत कुछ ऐसा है जिसे हम अभी तक नहीं जान पाए हैं, इनमें से ऐसा है एक रहस्य है जिसे आज तक वैज्ञानिक खोज रहे हैं। इसे डार्क मैटर कहते हैं।

वैज्ञानिकों की माने तो ब्रह्मांड का 80% हिस्सा ऐसे पदार्थों से बना हुआ है जिसका वैज्ञानिक पता नहीं लगा सकते और इसे ही वैज्ञानिक डार्क मैटर का नाम देते हैं।

कहां है डार्क मैटर
डार्क मैटर के बारे में वैज्ञानिकों का कहा है कि यह हिस्सा ऊर्जा या रौशनी प्रतिबिंबित नहीं करता और यह हिस्सा कहां है इसका अभी तक पता लगाना संभव नही हो पाया है। लेकिन वैज्ञानिक यह भी कहते हैं कि तारों की गति से इनकी स्थिति का पता लगाया जा सकता है।

सालों पहले सन 1950 मे जब दूसरी आकाश गंगाओं पर अध्ययन करना शुरू किया गया तब वैज्ञानिकों ने माना कि ब्रह्माण्ड में काफी अधिक ऐसे पदार्थ मौजूद हैं जिन्हे खुली आंखों से नहीं देखा जा सकता। इसके बाद से ही इन पदार्थों को देखने की इच्छा हुई और उन्हें खोजने का सिद्धांत शुरू किया गया।

डार्क मैटर की खोज
दरअसल, आकाशगंगाओं की खोज में तारों का पीछा करते हुए वैज्ञानिकों ने डार्क मैटर को खोजा लेकिन वो इसके बारे में कभी सही जानकारी नहीं जुटा सके। इसके बाद भी वैज्ञानिक लगातार खोज में लगे हुए हैं। इसी से सम्बंधित येले यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर पीटर वन डोककुम ने एक टीम के साथ मिल कर ड्रैगनफ्लाई 44 नामक आकाशगंगा की खोज की जो पूरी तरफ से डार्क मैटर से भरी हुई थी।

यहां उन्होंने पाया कि जो भी दिखाई देता था वो सतह पर सकेंद्रित थे लेकिन उनकी गति तारों के मुकाबले कई गुना तेज थी। उन्हें अलग-अलग दिशाओं में बहता हुआ देखा जा सकता था। इसके बाद ही वैज्ञानिकों ने यह निष्कर्ष निकाला कि आकाशगंगा में एक जगह पर कोई ऐसा पदार्थ है जो दिखाई नहीं देता और इसे ही फिर डार्क मैटर का नाम दिया गया।

डार्क मैटर को कैसे मापा गया
इसके बाद जैसे जैसे खोजें होती रही उनके आधार पर वैज्ञानिकों ने कंप्यूटर की मदद से इसके मॉडल तैयार करना शुरू कर दिए और इस बात पर गौर किया गया कि बाईरोनिक मैटर और डार्क मैटर किस प्रकार एक साथ मौजूद रहेंगे। इसी के आधार पर मॉडल तैयार किया गया।

इसके अलावा गुरुत्वाकर्षण लेंसिंग के द्वारा भी वैज्ञानिक डार्क मैटर का सटीक रूप तैयार करने में लगे हुए हैं। इन खोजों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि डार्क मैटर एक जाल के जैसा गुंथी हुई कोई गांठ है जिसमें कोई पदार्थ है।

डार्क मैटर की पहचान
कई खोजों के बाद अब वैज्ञानिक ये मानने लगे है कि डार्क मैटर होता है। और इसी के आधार पर वैज्ञानिकों ने मैसिव कॉम्पैक्ट हालो ऑब्जेक्ट  (MACHOs) नामक खोज की। यह एक प्रकार का पिंड है जो आकाशगंगा में प्रभामंडल में रहता है। लेकिन इस खोज के बाद भी आज तक वैज्ञानिक डार्क मैटर का रहस्य नहीं जान सके हैं।

 

 

 

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