एकतरफा संघर्षविराम पर सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट, पहले भी हो चुका है हमला

Edited By shukdev,Updated: 17 May, 2018 07:31 PM

security agencies alert on unilateral ceasefire even before the attack

सुरक्षा एजेंसियां आज से शुरू हुए रमजान के दौरान एकतरफा संघर्ष विराम की केंद्र की घोषणा को लेकर हालात पर करीबी निगरानी रखने की जरूरत महसूस कर रही हैं। दरअसल , करीब दो दशक पहले इसी तरह की एक पहल के बाद 43 सुरक्षार्किमयों सहित 129 लोग ...

नेशनल डेस्कः सुरक्षा एजेंसियां आज से शुरू हुए रमजान के दौरान एकतरफा संघर्ष विराम की केंद्र की घोषणा को लेकर हालात पर करीबी निगरानी रखने की जरूरत महसूस कर रही हैं। दरअसल , करीब दो दशक पहले इसी तरह की एक पहल के बाद 43 सुरक्षार्किमयों सहित 129 लोग मारे गए थे।

मोदी के दौरे से पहले घोषणा
अधिकारियों के मुताबिक सुरक्षा एजेंसी के अधिकारियों को हालात पर करीबी नजर रखने की जरूरत महसूस हो रही है क्योंकि आतंकी संगठनों ने इस तरह के अवसर का इस्तमाल खुद को फिर से संगठित करने और सुरक्षा प्रतिष्ठानों पर और अधिक हमले करने के लिए किया है। केंद्र ने कल घोषणा की कि सुरक्षा बल राज्य में रमजान के महीने में कोई अभियान नहीं चलाएंगे, लेकिन हमला होने की स्थिति में जवाबी कार्रवाई का अपना अधिकार उन्होंने सुरक्षित रखा हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शनिवार को जम्मू कश्मीर के दौरे से पहले यह घोषणा की गई है।
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पहले भी हो चुके हैं दो नरसंहारः 
- आंकड़ों का हवाला देते हुए अधिकारियों ने कहा कि ‘ लड़ाकू अभियान शुरू नहीं करना’ (एनआईसीओ) नामक एकतरफा संघर्षविराम के दौरान आतंकवादियों ने सेना की छावनी, पुलिस नियंत्रण कक्ष और श्रीनगर हवाईअड्डे पर आत्मघाती हमले तथा दो नरसंहार किए थे। एनआईसीओ की घोषणा 19 नवंबर 2000 में की गई थी।

- पिछले संघर्ष विराम की घोषणा तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने की थी और इसे दो बार- 24 जनवरी 2001 और 22 फरवरी 2001 बढ़ाया गया था। उस वक्त जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला पर हमला भी हुआ था।

- 19 नवंबर 2000 से 23 मई 2001 के बीच 44 आतंकवादियों को सुरक्षा बलों ने मार गिराया था। इस अवधि के दौरान 42 नागरिक भी मारे गए थे जिनमें श्रीनगर में छह सिख नागरिकों का नरसंहार भी शामिल है। साथ ही , राजौरी जिले में आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा ने 15 नागरिकों का भी नरसंहार किया था।

- अधिकारियों के मुताबिक इस अवधि के दौरान मारे गए आतंकवादियों की संख्या 44 थी जबकि 42 नागरिक , छह सैन्यकर्मी, 24 पुलिसकर्मी और अन्य सुरक्षा बल के 13 कर्मी भी मारे गए।

- इसमें जम्मू कश्मीर पुलिस नियंत्रण कक्ष पर हुआ आत्मघाती हमला भी शामिल है। इस हमले में आठ पुलिसकर्मी सहित 12 लोग मारे गए थे।  इस अवधि के दौरान 18 जनवरी को पुलवामा और कैगाम में बारूदी सुरंग विस्फोट में नौ सुरक्षाकर्मी मारे गए। वहीं, राजौरी जिले में घात लगा कर किए गए एक हमले में 15 पुलिसकर्मी और दो नागरिक मारे गए थे। वाजपेयी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों पर कैबिनेट की एक बैठक के बाद एनआईसीओ 23 मई को खत्म हुआ।   

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