यशवंत सिन्हा ने किया BJP छोड़ने का ऐलान, कहा- देश के लोकतंत्र को खतरा

Edited By vasudha,Updated: 21 Apr, 2018 06:07 PM

senior bjp leader yashwant sinha has left the party

पिछले काफी समय से भाजपा ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों की आलोचना करने वाले बागी नेता यशवंत सिन्हा ने पार्टी को छोडने को ऐलान कर दिया है।  सिन्हा ने इस दौरान कहा कि मैं भाजपा का पद छोड़ रहा हूं‡‡‡

नेशनल डेस्क: पिछले काफी समय से भाजपा ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों की आलोचना करने वाले बागी नेता यशवंत सिन्हा ने पार्टी को छोड़ने को ऐलान कर दिया है। सिन्हा ने इस दौरान कहा कि मैं भाजपा का पद छोड़ रहा हूं। भाजपा के साथ सभी संबधों को आज समाप्त करता हूं, भविष्य में मैं किसी पद का दावेदार नहीं हूं। साथ ही उन्होंने कहा कि मैं आज के बाद किसी दल के साथ नहीं रहूंगा न ही किसी भी राजनितिक दल से कोई रिश्ता रखूंगा। आज से चार साल पहले ही मैं सक्रिय राजनीति से संन्यास ले चुका हूं और अब मैंने चुनावी राजनीति से खुद को अलग कर लिया है।
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मोदी सरकार पर साधा निशाना 
सिन्हा ने मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि आज लोकतंत्र खतरे में है इसे बचाने के लिए मैं आंदोलन करूंगा। भारतीय जनता पार्टी से मेरा रिश्ता खत्म हो चुका है। उन्होंने कहा कि जब देश मुसीबत में था पटना ने रास्ता दिखाया था। आज भी देश को पटना ही रास्ता दिखाएगा। सिन्हा ने कहा कि गुजरात चुनाव के कारण संसद का सत्र छोटा किया गया देश में ऐसा कभी नहीं हुआ। हम देश की हालत पर विचार करने आए हैं, देश की परिस्थिति चिंताजनक है। 

कैश संकट के लिए जेतली और RBI जिम्मेदार
पटना के श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल में राष्ट्र मंच के सम्मेलन को संबोधित करते हुए यशवंत ने कहा कि अभी जो स्थिति बन गई है इसमें सभी को एकजुट होने की जरूरत है। अगर हम आज एकजुट न हुए तो आने वाली पीढ़ी हमें इसके लिए माफ नहीं करेगी। उन्होंने देश में जारी कैश की किल्लत के लिए वित्त मंत्री अरूण जेतली और आरबीआई जिम्मेदार ठहराया। सिन्हा द्वारा पटना में बुलाई गई गैर भाजपा दलों की बैठक में शत्रुघ्न सिन्हा भी शामिल हुए। वहीं सम्मेलन में कांग्रेस की नेता रेणुका चौधरी, आम आदमी पार्टी के नेता आशुतोष और संजय सिंह व अन्य पार्टियों के कई नेता मौजूद थे।
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विपक्षी दलों के साथ बैठक कर लिया फैसला
बता दें कि सिन्हा पिछले कुछ महीनों से मोदी सरकार पर तीखे हमले करते रहे हैं और कई मुद्दों पर सरकार को घेरा भी है। सिन्हा ने इसी साल 30 जनवरी को राष्ट्र मंच के नाम से एक नए संगठन की स्थापना की थी। तब उन्होंने कहा था कि यह संगठन गैर-राजनीतिक होगा और केंद्र सरकार की जनविरोधी नीतियों को उजागर करेगा। शनिवार को विपक्षी दलों के नेताओं के साथ बैठक कर उन्होंने यह फैसला लिया।उन्होंने भाजपा सांसदों से अपील करते हुए कहा था कि राष्‍ट्रीय हितों के लिए आपको अपनी आवाज उठानी चाहिए। अगर अब खामोश रहे तो आने वाली पीढिय़ां आपको माफ नहीं करेंगी।

जानिए कौन है यशवंत सिन्हा?

  • नौकरशाही से राजनीति में कदम रखने वाले यशवंत सिन्हा का जन्म छह नवंबर 1937 को पटना में हुआ था। 
  • वह 1960 में भारतीय प्रशासनिक सेवा ( आईएएस ) के अधिकारी बने और बिहार सरकार तथा केंद्र सरकार में कई महत्वपूर्ण भूमिकाओं का निर्वहन किया। 
  • बतौर नौकरशाह अपने 24 साल की अवधि के दौरान वह 1977 में बिहार के मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के प्रधान सचिव रहे।  
  • लोकनायक जयप्रकाश नारायण से प्रभावित सिन्हा ने 1984 में आईएएस की नौकरी छोड़ दी और जनता पार्टी के सदस्य के तौर पर सक्रिय राजनीति में शामिल हो गए। वह 1986 में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव बने और 1988 में राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए।       
  • वह 1989 में जनता दल का गठन होने पर इसके महासचिव बने। वह चंद्रशेखर की सरकार में नवंबर , 1990 से जून , 1991 तक वित्त मंत्री रहे। 
  • जनता दल में बिखराव के बाद सिन्हा भाजपा में शामिल हो गए और जून, 1996 में पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाए गए।      
  • वह अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वित्त और विदेश मंत्री रहे।       
  • सिन्हा ने 2014 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा। इस चुनाव में उनके पुत्र जयंत सिन्हा झारखंड की हजारीबाग सीट से भाजपा के टिकट पर लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुए।  
  • जयंत सिन्हा मौजूदा समय में नरेंद्र मोदी सरकार में नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री हैं। इससे पहले वित्त राज्य मंत्री भी थे।  

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