कर्नाटक जीत पर राहुल के दिग्गजों ने निभाई अहम भूमिका

Edited By vasudha,Updated: 21 May, 2018 03:42 PM

senior leaders played crucial role in karnataka win

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के पार्टी में युवाओं को प्रोत्साहित करने और उन्हें आगे बढ़ाने की नीति के बावजूद कर्नाटक में जनता दल(एस) के साथ गठबंधन सरकार बनाने के फार्मूले को अंजाम तक पहुंचाने की रणनीति में पार्टी के दिग्गज नेता ही काम आए...

नेशनल डेस्क: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के पार्टी में युवाओं को प्रोत्साहित करने और उन्हें आगे बढ़ाने की नीति के बावजूद कर्नाटक में जनता दल(एस) के साथ गठबंधन सरकार बनाने के फार्मूले को अंजाम तक पहुंचाने की रणनीति में पार्टी के दिग्गज नेता ही काम आए। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तथा राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, पार्टी महासचिव अशोक गहलोत, लोक सभा में पार्टी के नेता मल्लिकार्जुन खडग़े सहित कई वरिष्ठ नेता विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद से ही कर्नाटक में डटे रहे और भारतीय जनता पार्टी को हर मोर्चे पर घेरते रहे।
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प्रोत्साहन नीति के बावजूद काम आए दिग्गज
विधानसभा चुनाव के पूरे परिणाम आने से पहले ही रुझानों के आधार पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने जद-एस के साथ गठबंधन की सरकार बनाने की रणनीति बनायी और जद-एस के नेता एच डी कुमारस्वामी के नेतृत्व में गठबंधन सरकार बनाने के लिए विधायकों की सूची के साथ दावा पेश किया। राज्यपाल ने विपक्षी दलों के इस दावे को नजरअंदाज कर भाजपा को सबसे बड़ा दल होने का लाभ देते हुए उसके नेता बी एस येदयुरप्पा को सरकार के गठन के लिए आमंत्रित किया तो मामले को उच्चतम न्यायालय ले जाने की सारी रणनीति बनाने में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने अहम भूमिका निभायी। 
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विधायकों को एकजुट रखने की बनाई रणनीति
इन नेताओं ने इसके लिए न सिर्फ कर्नाटक में दिन रात एक कर दिया बल्कि न्यायालय में मामले की पैरवी करने में भी वरिष्ठ नेता ही काम आए। मामले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देने की रणनीति में पी चिदंबरम, अभिषेक मनु सिंघवी तथा कपिल सिब्बल जैसे कई वरिष्ठ नेताओं ने अहम भूमिका निभायी। कर्नाटक में कांग्रेस तथा जद-एस के विधायकों को एकजुट रखने की रणनीति में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की अहम भूमिका रही। 
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भाजपा को सरकार बनाने में किया नाकमयाब 
येदयुरप्पा को राज्यपाल ने जब 16 मई की रात पत्र देकर 17 मई सुबह नौ बजे शपथ लेने के लिए आमंत्रित कर उन्हें 15 दिन में बहुमत साबित करने को कहा तो सिंघवी ने राज्यपाल के निर्णय को असंवैधानिक बताकर आधी रात को मामले की सुनवाई के लिए न्यायालय से आग्रह किया। न्यायालय ने उनके आग्रह को मान लिया और  येदयुरप्पा से 19 मई शाम चार बजे तक बहुमत साबित करने को कहा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के राजनीतिक कौशल का ही परिणाम रहा कि पूरी ताकत झोंकने के बावजूद भाजपा वहां सरकार बनाने में कामयाब नहीं रही और मुख्यमंत्री येदयुरप्पा को शपथ लेने के महज तीन दिन के भीतर इस्तीफा देना पड़ा। 

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