पूर्व जज ने जस्टिस माहेश्वरी और खन्ना की पदोन्नति के खिलाफ राष्ट्रपति को लिखी चिट्ठी, कही ये बात

Edited By Seema Sharma,Updated: 16 Jan, 2019 10:27 AM

sent letter to president against justice maheshwari and khanna of promotion

दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस कैलाश गंभीर ने 32 न्यायाधीशों की वरिष्ठता की कथित अनदेखी करते हुए जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस संजीव खन्ना को शीर्ष न्यायालय में भेजे जाने की सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश के खिलाफ राष्ट्रपति को एक पत्र लिखा...

नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस कैलाश गंभीर ने 32 न्यायाधीशों की वरिष्ठता की कथित अनदेखी करते हुए जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस संजीव खन्ना को शीर्ष न्यायालय में भेजे जाने की सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश के खिलाफ राष्ट्रपति को एक पत्र लिखा है। यह पत्र सोमवार को लिखा गया है, जो दो पन्नों का है। इसमें इस बात का जिक्र किया गया है कि जस्टिस खन्ना दिवंगत जस्टिस एच.आर. खन्ना के भतीजे हैं, जिन्होंने आपातकाल के दौरान असहमति वाला एक फैसला दिया था जिसके बाद उनकी वरिष्ठता को नजरअंदाज करके किसी और को प्रधान न्यायाधीश बनाया गया था।
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दरअसल, उन्होंने इस विचार का समर्थन नहीं किया था कुछ खास परिस्थितियों में मूल अधिकारों को निलंबित किया जा सकता है। इसमें कहा गया है कि जिस तरह से जस्टिस एच.आर. खन्ना की वरिष्ठता को नजरअंदाज कर अन्य न्यायाधीश को प्रधान न्यायाधीश बनाए जाने को भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में ‘काला दिन’ बताया जाता है उसी तरह 32 न्यायाधीशों की वरिष्ठता की अनदेखी करके जस्टिस संजीव खन्ना को न्यायाधीश बनाया जाना एक और काला दिन होगा। उनमें से कई न्यायाधीश हो सकता है उनसे कम मेधावी और सत्यनिष्ठा वाले नहीं हों। कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस माहेश्वरी और दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के तौर पर तरक्की दिए जाने की कॉलेजियम की 10 जनवरी की सिफारिश के बाद यह पत्र लिखा गया है।
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सेवानिवृत्त न्यायाधीश गंभीर ने राष्ट्रपति से अनुरोध किया है कि न्यायपालिका की विश्वसनीयता और स्वतंत्रता को संरक्षित रखा जाए तथा ‘‘एक और ऐतिहासिक भूल नहीं की जाए। उन्होंने कहा कि जब 11 जनवरी को उन्होंने टीवी चैनलों पर कॉलेजियम की सिफारिश के बारे में खबर देखी तो शुरुआत में उन्हें इस पर यकीन नहीं हुआ। पर उन्होंने कानूनी समाचार देने वाली वेबसाइटों पर इस बारे में विस्तृत कवरेज देखी। साथ ही उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर डाले गए कॉलेजियम के फैसले को भी देखा। पत्र में कहा गया है कि यह भयावह है कि 32 न्यायाधीशों की वरिष्ठता की अनदेखी करने का हिलाकर रख देने वाला एक फैसला ले लिया गया। नजरअंदाज किए गए उन न्यायाधीशों में कई मुख्य न्यायाधीश भी शामिल हैं और यह फैसला उनके ज्ञान, मेधा और सत्यनिष्ठा पर प्रहार करता है।
 

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