सीवर सफाई के दौरान हर साल देश में 22 हजार लोगों की मौत

Edited By ,Updated: 09 Mar, 2016 07:30 PM

sewer cleaning in the country every year more than 22 thousand people die

राज्यसभा में आज भाजपा के एक सदस्य ने सीवर की सफाई करते हुए सफाई कर्मियों की मृत्यु की दर अधिक ...

नई दिल्ली : राज्यसभा में आज भाजपा के एक सदस्य ने सीवर की सफाई करते हुए सफाई कर्मियों की मृत्यु की दर अधिक होने का मुद्दा उठाते हुए मांग की कि इन कर्मियों को समुचित सुरक्षा साधन मुहैया कराया जाए और उनका न्यूनतम वेतन कम से कम 20,000 रुपए प्रतिमाह घोषित किया जाए। उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान भाजपा के तरुण विजय ने नालों, नालियों और गटर की सफाई करते हुए जान गंवाने वाले दलित वाल्मीकियों का मुद्दा उठाया। 
 
उन्होंने कहा कि एक आकलन के अनुसार साल मंे 22 हजार से अधिक लोग नालियों की सफाई करते हुए जान गंवाते हैं। विजय ने कहा कि औसतन हर दिन दो से तीन दलित वाल्मीकि कर्मचारी सीवर की सफाई करते हुए आवश्यक उपकरण के अभाव मे अपनी जान गंवाते हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग के अनुसार, हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र, दिल्ली और तमिलनाडु में एेसी घटनाएं हो रही हैं। 
 
उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने 2014 में एक व्यवस्था देते हुए सफाई कर्मचारियों को बिना सुरक्षा साधनों के नालियों, नालों और गटर में उतरने पर रोक लगाई थी तथा मृत्यु होने पर दस लाख रुपए की राशि तत्काल देने का आदेश दिया था। उन्होंने कहा कि इस आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है। विजय ने इन कर्मियों को ‘‘स्वच्छता शहीद’’ करार देते हुए कहा कि ये लोग किसी राजनीतिक दल के वोट बैंक नहीं हैं इसलिए इनकी दर्दनाक मृत्यु पर किसी का ध्यान भी नहीं जाता। उन्होंने सरकार से इन कर्मियों की समस्याआें पर तत्काल ध्यान देने का आग्रह किया।
 

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