गुजरात मॉडल को ‘भारत मॉडल’ बनाने के लिए प्रत्याशी बने ‘शाह’

Edited By Seema Sharma,Updated: 24 Mar, 2019 12:40 PM

shah becomes candidates the gujarat to make india

गुजरात के गांधी नगर संसदीय क्षेत्र से लाल कृष्ण अडवानी की जगह भाजपा अध्यक्ष व राज्यसभा सांसद अमित शाह को टिकट देना नए युग का आरंभ होने जैसा है। इस बात की भी चर्चा है कि गुजरात मॉडल को ‘भारत मॉडल’

नई दिल्ली (कृष्णमोहन): गुजरात के गांधी नगर संसदीय क्षेत्र से लाल कृष्ण अडवानी की जगह भाजपा अध्यक्ष व राज्यसभा सांसद अमित शाह को टिकट देना नए युग का आरंभ होने जैसा है। इस बात की भी चर्चा है कि गुजरात मॉडल को ‘भारत मॉडल’ बनाने के लिए ही शाह को गांधीनगर से प्रत्याशी बनाया गया। पार्टी में तो पहले से ही अमित शाह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बाद सबसे शक्तिशाली नेता समझे जाते हैं। अब अगर 2019 के लोकसभा चुनावों में दोबारा भाजपा की सरकार बनती है तो संभव है कि अमित शाह भाजपा में नंबर 2 से केन्द्र सरकार में भी नंबर 2 हो सकते हैं। राजनाथ सिंह को हटाकर ही अमित शाह पार्टी अध्यक्ष बने थे। अब कहा यह जा रहा है कि यदि भाजपा फिर से केन्द्र की सत्ता में आती है तो अमित शाह को गृह जैसा महत्वपूर्ण मंत्रालय दिया जा सकता है। यदि ऐसा होता है तो यह इतिहास के खुद को दोहराने जैसा ही होगा क्योंकि मोदी सरकार में अब तक गृह मंत्री का पद संभाल रहे राजनाथ सिंह उस स्थिति में दोबारा भारत के गृह मंत्री नहीं बन सकेंगे।

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राजनाथ की तरह ही 2 बार भाजपा अध्यक्ष रहे शाह
अमित शाह भी राजनाथ सिंह की तरह ही 2 बार भाजपा अध्यक्ष रहे। 22 अक्तूबर, 1964 को जन्मे अमित शाह गुजरात के गृह मंत्री का पद भी संभाल चुके हैं। भारतीय राजनीति में मोदी और शाह की जोड़ी का कोई तोड़ नहीं है। दरअसल अमित शाह पहली बार नरेंद्र मोदी से 1982 में अपने छात्र जीवन के दौरान मिले थे। इसके बाद ही उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई थी। अमित शाह के लिए राजनीतिक जीवन की पहली बड़ी उपलब्धि थी 1991 में लाल कृष्ण अडवानी के लिए गांधीनगर संसदीय क्षेत्र में चुनाव प्रचार करना। इसके बाद शाह ने कभी मुड़कर पीछे नहीं देखा और 2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भाजपा को 71 सीटें जितवाकर उन्होंने सभी को अपनी राजनीतिक सूझबूझ का कायल बना दिया। जिस संसदीय क्षेत्र में पहली बार एक बड़े नेता के लिए चुनाव प्रचार किया, अब उसी सीट से लोकसभा चुनाव लडऩा अमित शाह के जीवन का एक नया पड़ाव है। यदि तमाम राजनीतिक विशेषज्ञों की बातों को सही मानें, तो गृह मंत्री पद का रास्ता अमित शाह के लिए गांधीनगर संसदीय सीट से ही होकर जाता है।

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उम्मीदवार बनाने के पीछे ये हैं कारण

  • गांधीनगर सीट से हमेशा भाजपा का शीर्ष नेतृत्व चुनाव लड़ता रहा है। यह सीट भाजपा की सबसे सुरक्षित सीटों में से है। इस पर गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री व म.प्र. की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल अपनी बेटी अनार पटेल को चुनाव लड़ाना चाहती थीं। वह चाहती थीं कि अनार को गांधी नगर से टिकट दिया जाए। इसके लिए सत्ता शीर्ष पर दबाव बनाए हुई थीं। उनसे अमित शाह की पटती नहीं है। कहा जा रहा है कि उनको (आनंदी व अनार) को मात देने के लिए यहां से भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को टिकट दिया गया।
  • 2014 की तरह 2019 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा गुजरात की सभी 26 सीटें जीतना चाहती है इसलिए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को गांधी नगर संसदीय सीट से उतारा गया है। इस संसदीय क्षेत्र से भाजपा के सबसे बड़े नेताओं में से एक लाल कृष्ण अडवानी चुनाव लड़ते रहे हैं। उनकी जगह किसी सामान्य या नए नेता को चुनाव लड़ाया जाता तो जनता नाराज हो सकती थी।
  • अडवानी का टिकट काटकर शाह को टिकट दिए जाने के पीछे डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश भी है क्योंकि यहां पर पाटीदार समाज नरेंद्र मोदी से नाराज चल रहा है। बड़ी सीट होने के कारण शाह यहां से आसानी से जीत जाएंगे। अगर वह यहां चुनाव प्रचार के लिए भी नहीं आते हैं तो भी आसानी से जीत जाएंगे।
  • स्थानीय स्तर पर माना जा रहा है कि अब अमित शाह गांधीनगर से चुनाव लडऩे जा रहे हैं तो बिना किसी खास संघर्ष के वह चुनाव तो जीत ही जाएंगे, साथ ही उनके गुजरात में लोकसभा चुनाव लडऩे का फायदा राज्य की अन्य संसदीय सीटों पर होगा। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने गुजरात समेत कई राज्यों में क्लीन स्वीप किया था।
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