2002 नरोदा पाटिया मामले में बढ़ सकती हैं शाह की मुश्किलें

Edited By vasudha,Updated: 03 Aug, 2018 01:15 PM

shah troubles in 2002 naroda patia case

2002 के नरोदा गाम नरसंहार मामले में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। विशेष जांच दल (एसआईटी) ने इस मामले की मुख्य आरोपी एवं राज्य की पूर्व मंत्री माया कोडनानी के बचाव में भाजपा अध्यक्ष के बयान को प्रासंगिक नहीं माना है...

नेशनल डेस्क: 2002 के नरोदा गाम नरसंहार मामले में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। विशेष जांच दल (एसआईटी) ने इस मामले की मुख्य आरोपी एवं राज्य की पूर्व मंत्री माया कोडनानी के बचाव में भाजपा अध्यक्ष के बयान को प्रासंगिक नहीं माना है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एसआईटी ने इस मामले की सुनवाई कर रही विशेष अदालत से कहा कि अमित शाह के बयान पर विचार नहीं होना चाहिए। 
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अमित शाह का बयान भरोसे लायक नहीं
विशेष सरकारी वकील गौरांग व्यास ने जस्टिस एम के दवे को बताया कि कोडनानी के बचाव में शाह के बयान का कोई मतलब नहीं है क्योंकि यह घटना के 15 साल बाद दर्ज किया गया था उन्होंने कहा कि यह बयान विश्वसनीय नहीं है कयोंकि यह केवल माया कोडनानी और विधायकों के समर्थन के लिए दिया गया था। व्यास ने तर्क दिया कि अमित शाह का सोला सिविल असपताल में होना संदिग्ध है जबकि आरोपी बाबू बजरंगी और जयदीप पटेल ने शाह की मौजूदगी को रेखांकित किया था। वहीं किसी अन्य आरोपी ने सोला सिविल अस्पताल में कोडनानी की मौजूदगी का उल्लेख नहीं किया। मामले में अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी। 

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शाह ने कोडनानी के बचाव में दिया था बयान 
बता दें कि पिछले साल सितंबर में शाह, कोडनानी के बचाव में गवाह के रूप में पेश हुए थे। उन्होंने अदालत से अनुरोध किया था कि उन्हें पेशी की अनुमति दी जाए ताकि वह कोडनानी के उस पक्ष में अपना बयान दे सकें कि वह मौका-ए-वारदात के दौरान उपस्थित नहीं थीं और उस वक्त वह विधानसभा में मौजूद थीं। शाह ने अदालत को बताया था कि वह गांधीनगर में गुजरात विधानसभा में कोडनानी से मिले थे और बाद में दंगा वाले दिन वह उनसे अहमदाबाद में सोला सिविल अस्पताल में मिले थे।

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नरोदा पाटिया नरसंहार में मारे गए थे 96 लोग
नरोदा पाटिया नरसंहार मामला साल 2002 में सांप्रदायिक दंगे के उन नौ मामलों में से एक है, जिनकी जांच सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एसआईटी कर रही है। नरोदा पाटिया दंगा मामले में कोडनानी को 28 साल की जेल हुई थी जिसमें 96 लोग मारे गए थे। हालांकि इस साल अप्रैल में गुजरात हाईकोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया।
 

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