Edited By vasudha,Updated: 23 May, 2020 10:42 AM
लॉकडाउन ने अल्लाह की इबादत का तरीका पूरी तरह बदल दिया है, इस बार पवित्र रमजान का महीना घरों में ही इबादत के साथ गुजरा। यह पहला मौका था जब शुक्रवार को अलविदा की नमाज रोजेदारों ने मस्जिदों के बजाय घरों में अदा की। हालांकि जामा मस्जिद में अलविदा की...
नेशनल डेस्क: लॉकडाउन ने अल्लाह की इबादत का तरीका पूरी तरह बदल दिया है, इस बार पवित्र रमजान का महीना घरों में ही इबादत के साथ गुजरा। यह पहला मौका था जब शुक्रवार को अलविदा की नमाज रोजेदारों ने मस्जिदों के बजाय घरों में अदा की। हालांकि जामा मस्जिद में अलविदा की नमाज तो पढ़ी गई लेकिन बिना किसी भीड़ के। इन हालातों को देख शाही इमाम बुखारी अपने आप को संभाल नहीं पाए और फूट-फूट कर रो पड़े।
दरअसल शुक्रवार को अलविदा की नमाज में जामा मस्जिद का स्टाफ और शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी के परिवार के कुछ सदस्य ही शामिल हुए। सैयद अहमद बुखारी जब अलविदा जुमे का खुत्बा पढ़ रहे थे तो उन्हे एहसास हुआ कि कभी जहां हजारों नमाजी हुआ करते थे, आज वहां सन्नाटा पसरा हुआ है। ऐसे में वह भावुक हो गए और रो पड़े। हालांकि इसके बाद उन्होंने अपने आप को संभालमे हुए कोरोना वायरस से निजात के लिए और दुनिया की बेहतरी के लिए दुआ भी मांगी।
जामा मस्जिद के शाही इमाम ने कहा कि बड़ी संख्या में लोग जामा मस्जिद में नमाज अदा करना चाहते थे, लेकिन उनसे कहा गया कि वह घर पर नमाज अदा करें और उन्होंने ऐसा ही किया। उनहोंने बताया कि जुमे की नमाज पर जामा मस्जिद के स्टाफ और कुछ ही सदस्यों ने नमाज अदा की। इस दौरान फिजिकल डिस्टेंसिंग का पूरी तरह से पालन किया गया।