'शर्म की बात है कि पढ़े-लिखे होने के बाद भी युवकों को रोजगार के लिए भटकना पड़ता है'

Edited By Pardeep,Updated: 05 Feb, 2020 04:43 AM

shame that even after being educated youth have to wander for employment

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मंगलवार को कहा कि यह शर्म की बात है कि पढ़े-लिखे होने के बावजूद हमारे युवकों को रोजगार के लिए भटकना पड़ता है और ऐसे में यदि दिल्ली में कांग्रेस सत्ता में आती है, तो बेरोजगारी

नई दिल्ली : पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मंगलवार को कहा कि यह शर्म की बात है कि पढ़े-लिखे होने के बावजूद हमारे युवकों को रोजगार के लिए भटकना पड़ता है और ऐसे में यदि दिल्ली में कांग्रेस सत्ता में आती है, तो बेरोजगारी से निपटने के लिए ‘ठोस कदम' उठाए जाएंगे। वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा, ‘मैं कुछ ऐसे मुद्दे उठाना चाहता हूं, जो आज युवाओं से जुड़े हैं। शिक्षा पर इतना सारा पैसा खर्च करने के बाद भी उन्हें रोजगार के लिए भटकना पड़ता है। यह शर्म की बात है।

मशहूर अर्थशास्त्री सिंह ने यह भी कहा कि दिल्ली में बेरोजगारी की दर पिछले चार महीने में 15 फीसदी थी, जो अन्य स्थानों की तुलना में बहुत ज्यादा है। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस लोगों के लिए प्रतिबद्ध है और यदि कांग्रेस सत्ता में आती है, तो बेरोजगारी से निपटने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे। हमारा जोर बेरोजगारी हटाने पर होगा।'

उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली में फैक्ट्री श्रमिकों की संख्या 2013-14 (जब शीला दीक्षित सरकार सत्ता में थी) से 2017-18 में घटी है। उन्होंने कहा कि 2013-14 में फैक्ट्री श्रमिकों की संख्या 75,273 थी, जो 2017-18 में घटकर 68,630 हो गई। पूर्व प्रधानमंत्री ने पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की अपनी सोच से अपने कार्यकाल में दिल्ली की शक्ल बदल देने को लेकर प्रशंसा भी की। 

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