चिट फंड केस: BJP में शामिल होते ही इन आरोपियों पर ढीला हुआ CBI का शिकंजा

Edited By Anil dev,Updated: 05 Feb, 2019 01:44 PM

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शारदा चिटफंड घोटाले में पश्चिम बंगाल में कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के खिलाफ सीबीआई की कार्रवाई की पहल से घमासान मचा हुआ है। हालांकि पश्चिमी बंगाल सरकार और सीबीआई के बीच की लड़ाई की अंदरूनी बातें अब बाहर निकल रही हैं। देश की सबसे बड़ी जांच...

नई दिल्ली: शारदा चिटफंड घोटाले में पश्चिम बंगाल में कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के खिलाफ सीबीआई की कार्रवाई की पहल से घमासान मचा हुआ है। हालांकि पश्चिमी बंगाल सरकार और सीबीआई के बीच की लड़ाई की अंदरूनी बातें अब बाहर निकल रही हैं। देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी जो निष्पक्षता के लिए जानी जाती है उसके द्वारा किए गए पक्षपात के मामले सामने आ रहे हैं।

सीबीआई ने छो़ी इन नेताओं पर ढील
शारदा घोटाले में शामिल पूर्व टीएमसी के नेता मुकुल रॉय और असम के मंत्री हेमंत बिस्वा शर्मा द्वारा बीजेपी में शामिल होने के बाद सीबीआई इन पर ढील छोड़ती नजर आ रही है। इस मामले में पहले जांच एजेंसी बिस्वा से पूछताछ भी कर चुकी और उनके घर पर छापेमारी भी हुई है लेकिन इसके बावजूद भी उनका नाम आरोप पत्र में शामिल नहीं था। इन दोनों नेताओं के खिलाफ 2014 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई ने जांच शुरू की थी।

मुकुल रॉय पर कंपनी के चेयरमैन को भगाने का आरोप
मुकुल रॉय से 30 जनवरी 2015 को पूछताछ की गई थी। रॉय पर शारदा चिट फंड घोटाले में कंपनी के चेयरमैन सुदीप्त सेन के साथ मिलीभगत का आरोप है। जांच में सीबीआई ने रॉय के ड्राइवर का बयान लिया था जिसके बाद ये बात सामने आई थी कि कोलकाता से सेन को भगाने में रॉय ने मदद की थी। 2015 में टीएमसी के सासंद कुणाल घोष के आरोपों के आधार पर मुकुल रॉय से पूछताछ की गई थी।

टीएमसी सासंद ने लिया रॉय का नाम
घोष को कर्मचारियों को वेतन न देने पर सारदा ग्रुप की एक शिकायत से जुड़े मामले में धोखाधड़ी, विश्वास का उल्लंघन और आपराधिक षड्यंत्र के लिए 2013 में गिरफ्तार किया गया था। अपनी गिरफ्तारी के कुछ घंटों में ही घोष ने रॉय सहित घोटाले के पीछे 12 लोगों का नाम लिया था। इसके बाद 3 नवंबर 2017 को रॉय बीजेपी में शामिल हो गए। 

सीबीआई शिकंजे से मुक्त नजर आ रहे हैं शर्मा
वहीं, हेमंत बिस्वा शर्मा से सीबीआई ने 26 नवंबर 2014 को पूछताछ की। इसके दो महीने बाद सीबीआई द्वारा गुवाहाटी में उनकी पत्नी को न्यूज चैनल और उनके घर पर छापेमारी की थी। शर्मा पर शारदा कंपनी से हर महीने 20 लाख रुपए लेने के आरोप लगे लेकिन सीबीआई की तरफ से उनके खिलाफ कोई चार्जशीट दाखिल नहीं की गई। 28 अगस्त 2015 को शर्मा ने बीजेपी का हाथ थाम लिया। इसके बाद से सीबीआई के शिकंजे से वह मुक्त नजर आ रहे हैं। 

क्या है शारदा चिटफंड स्कैम 
शारदा स्कैम करीब 5 से 6 साल पुराना है। चिटफंड में घोटाला सामने आने के बाद टीएमसी के कई बड़े नेताओं का नाम जुड़ा है। इस कंपनी पर आरोप लगाए गए हैं कि पैसे ठगने के लिए लोगों से लुभावने वादे किए थे और पैसे को 34 गुना करके वापस करने के लिए कहा गया था। साल 2013 में सामने आए इस मामले में शारदा कंपनी ने लोगों से 34 गुना फायदा के नाम पर निवेश कराया और पैसा नहीं दे पाए। वहीं इस निवेशकों ने एजेंटो से पैसा मांगा तो कई एंजेटों ने जान दे दी। ये मामला ना केवल बंगाल बल्कि असम, ओडिशा तक पहुंच गया था क्योंकि इन कंपनियों ने यहां भी चिट फंड के नाम पर लोगों को ठगा था। इसमें 40 हजार करोड़ की हेरा- फेरी का आरोप है।

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