अपने बेबाक अंदाज की वजह से जाने जाते थे बाल ठाकरे, दाऊद भी खाता था खौफ

Edited By Anil dev,Updated: 04 Sep, 2019 03:25 PM

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शिवसेना जैसे प्रखर राष्ट्रवादी पार्टी का 1966 में गठन करने वाले बालासाहेब को प्यार से लोग बालासाहेब भी बुलाते थे। 17 नवंबर 2012 को ठाकरे इस दुनिया को अलविदा कह गए थे, उन्होंने मुंबई में अपने मातुश्री आवास पर अंतिम सांस ली थी।

नई दिल्ली: शिवसेना जैसे प्रखर राष्ट्रवादी पार्टी का 1966 में गठन करने वाले बालासाहेब को प्यार से लोग बालासाहेब भी बुलाते थे। 17 नवंबर 2012 को ठाकरे इस दुनिया को अलविदा कह गए थे, उन्होंने मुंबई में अपने मातुश्री आवास पर अंतिम सांस ली थी। बालासाहेब का विवाह मीना ठाकरे से हुआ था, उनके तीन बेटे- बिन्दुमाधव, जयदेव और उद्धव ठाकरे है। उद्धव ठाकरे फिलहाल शिवसेना के प्रमुख के तौर पर काम कर रहे हैं। बालासाहेब मराठी में सामना नाम की एक पत्रिका भी निकालते थे। इस अखबार के माध्यम से वे अपने मन की बात लोगों तक पहुंचाया करते थे। उन्होंने अपनी मृत्यु से कुछ दिन पूर्व अपने संपादकीय में लिखा था- "आजकल मेरी हालत चिन्ताजनक है किन्तु मेरे देश की हालत मुझसे अधिक चिन्ताजनक है; ऐसे में भला मैं चुप कैसे बैठ सकता हूं?"


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कार्टूनिस्ट के रूप में की करियर की शुरुआत
बालासाहेब ने अपने करियर की शुरुआत एक कार्टूनिस्ट के रूप में की थी। पहले वे अंग्रेजी अखबार फ्री प्रेस जर्नल के लिए कार्टून बनाया करते थे लेकिन, 1960 में उन्होंने 'मार्मिक' नाम से अपना एक स्वतन्त्र साप्ताहिक अखबार निकालना शुरू किया जिसके माध्यम से उन्होंने अपने पिता केशव सीताराम ठाकरे के राजनीतिक दर्शन को महाराष्ट्र में प्रचारित व प्रसारित करने की कोशिश की।

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हमेशा सुर्खियों में ही रहे बालासाहेब
मराठी सामना के अतिरिक्त उन्होंने हिन्दी में दोपहर का सामना नामक अखबार भी निकाला। महाराष्ट्र में हिन्दी व मराठी में दो-दो प्रमुख अखबारों के संस्थापक बाला साहब ही थे। बालासाहेब हमेशा कोरी और खरी बात कहने में माहिर थे। अपने विवादास्पद बयानों के कारण हमेशा अखबार की सुर्खियों में बने रहे। शुरुआती दौर में शिवसेना को अपेक्षित सफलता नहीं मिली लेकिन बालासाहेब ने पार्टी को सत्ता की सीढ़ियों पर पहुंचा ही दिया और 1995 में भाजपा-शिवसेना के गठबंधन ने महाराष्ट्र में अपनी सरकार बनाई। हालांकि 2005 में बेटे उद्धव ठाकरे को अतिरिक्त महत्व दिए जाने से नाराज उनके भतीजे राज ठाकरे ने शिवसेना छोड़ दी और 2006 में अपनी नई पार्टी 'महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना' बना ली। 

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बॉलीवुड के `सरकार` थे बाला साहेब
बाला साहेब बॉलीवुड के `सरकार` थे और उनका मायानगरी से काफी करीबी रिश्‍ता रहा है। एक दौर ऐसा भी था जब मायानगरी में किसी फिल्‍म की रिलीज से पहले बाला साहेब की हरी झंडी ली जाती थी। यही नहीं, उन फिल्‍मों के पोस्‍टर के किसी कोने में इस बात का जिक्र होता था `बाला साहेब की रजामंदी के बाद फिल्‍म रिलीज`। बाला साहेब ने बॉलीवुड के कई लोगो को अंडरवर्ल्‍ड के खौफ से बचाया था। अंडरवर्ल्‍ड डॉन दाऊद इब्राहिम से कई बॉलीवुड हस्तियों को मिली धमकी के बाद बाला साहेब ने ही उन्‍हें इस `आतंक` से बचाया था। दाऊद के खौफ के चलते बॉलीवुड का काम प्रभावित हो रहा था और कई प्रोजेक्‍ट बंद होने के कगार पर थे। ऐसे में ठाकरे सामने आए और इन लोगों के `संरक्षक` बने।


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इन खौफ के बीच बॉलीवुड की कई प्रमुख हस्तियां उनके निवास मातोश्री पर उनसे गुहार लगाने पहुंचे। सलीम खान का परिवार भी उनसे गुहार लगाने वालों में एक था। उनके हस्‍तक्षेप से ही इन हस्तियों को राहत मिली। कुछ लोग कहते हैं कि दाउद को पुलिस का खौफ कतई नहीं था, लेकिन बाला साहेब का खौफ था। बाला साहेब ने अपने जीवन में कई बड़े काम किए। वर्षों तक देश की सेवा की और छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम को महाराष्ट्र में जीवित रखा। राम गोपाल वर्मा की फिल्‍म `सरकार` में भी बाला साहेब का चित्रण किया गया। वह सही मायनों में शक्ति शब्द के प्रतीक थे।

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