गठबंधन के बावजूद शिवसेना- BJP की राह कठिन

Edited By Anil dev,Updated: 04 Apr, 2019 12:48 PM

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4 साल की तल्खी के बाद आखिरकार चुनावी बेला में भाजपा (BJP) अध्यक्ष अमित शाह (Amit shah)  व शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे एक साथ आ ही गए।

मुम्बई: 4 साल की तल्खी के बाद आखिरकार चुनावी बेला में भाजपा (BJP) अध्यक्ष अमित शाह (Amit shah)  व शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे एक साथ आ ही गए। बावजूद इसके दोनों दलों के नेताओं और कार्यकत्र्ताओं में गठबंधन जैसा तालमेल जमीन पर नहीं दिख रहा है। इसके साथ-साथ दोनों दलों के नेताओं में स्थानीय स्तर पर आपसी दुश्मनी भी उनकी राह का रोड़ा बन रही है जिसके चलते इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि दोनों दलों के एक साथ चुनाव लडऩे की घोषणा के बावजूद इन्हें महाराष्ट्र में कोई बड़ा फायदा होता दिख नहीं रहा है। मुम्बई की उत्तर पूर्व सीट को ही उदाहरण के तौर पर लीजिए। पार्टी में कई मसलों के बावजूद भाजपा यहां का टिकट किरीट सोमैया को देना चाहती थी लेकिन शिवसेना के विरोध के बाद उनका टिकट काट दिया गया। 

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शिवसेना के नेता सार्वजनिक रूप से कह चुके थे कि अगर भाजपा सोमैया को टिकट देती है तो वे उसके लिए काम नहीं करेंगे बल्कि वहां से अपना उम्मीदवार उतारेंगे। संजय राऊत के भाई विधायक सुनील राऊत कहते हैं कि वह सोमैया के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे। सुनील का कहना है कि सोमैया ने 2017 में नगरपालिका चुनाव दौरान शिवसेना प्रमुख को सरेआम भ्रष्ट कहा था व कई व्यक्तिगत आरोप भी लगाए थे जिसके चलते शिवसेना कार्यकत्र्ता कह रहे हैं कि वे किस मुंह से उनका प्रचार करेंगे। रवीर लोकसभा सीट पर भी इसी तरह की कलह है। यहां से एकनाथ खड़से की बहू रक्षा खड़से भाजपा की उम्मीदवार हैं। यहां से शिवसेना विधायक गुलाब्रो पाटिल व स्थानीय शिवसेना नेता चंद्रकांत पाटिल ने पहले ही घोषणा कर दी है कि वे रक्षा के पक्ष में काम नहीं करेंगे। 

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संघ के गढ़ में गडकरी के सामने पटोले की चुनौती
नागपुर विदर्भ का सबसे प्रमुख शहर, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के गढ़ और संविधान निर्माता डा. भीम राव अंबेदकर की दीक्षा भूमि के रूप में मशहूर है। इस लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा लोकसभा चुनाव कांग्रेस ने जीते हैं। वर्तमान में यहां से भाजपा के कद्दावर नेता, पूर्व अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी सांसद हैं। उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव में 4 बार के सांसद और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विलास मुत्तेमवार को हराया था। कांग्रेस ने इस बार नाना पटोले को टिकट दिया है। पटोले इससे पहले भाजपा के नेता और सांसद रह चुके हैं। नितिन गडकरी ने सांसद और मंत्री के रूप में नागपुर के लिए करीब 60 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की योजनाएं शुरू कराईं। नागपुर मैट्रो, एम्स, लॉ यूनिवर्सिटी, आई.आई.एम., आई.आई.टी. सहित इलाके में कई इकाइयों ने इसे विश्व के फलक में स्थापित किया है। नाना पटोले की पकड़ कुणबी-मराठा वोटों पर है। 

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