Edited By ,Updated: 23 Nov, 2016 09:36 AM
नोटबंदी पर जहां विपक्ष सरकार के खिलाफ एक सुर में बोल रहे हैं वहीं भाजपा के अपने सहयोगी भी इस फैसले के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं।
नई दिल्ली: नोटबंदी पर जहां विपक्ष सरकार के खिलाफ एक सुर में बोल रहे हैं वहीं भाजपा के अपने सहयोगी भी इस फैसले के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। नोटबंदी पर सरकार की सहयोगी शिवसेना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मना ही लिया है। शिवसेना सांसदों ने जब अपनी नाराजगी का पिटारा नरेंद्र मोदी के सामने खोला तो पीएम ने सिर्फ इतना ही कहा कि अगर बाल ठाकरे आज जीवित होते तो केंद्र सरकार के इस कदम का समर्थन करते। बस फिर क्या था मोदी के इस भावनात्मक बयान का असर हुआ और शिवसेना के गर्म सुर ठंडे पड़ गए।
दरअसल दो पेज का मेमोरेंडम लेकर शिवसेना सांसदों ने सहकारी बैंकों, जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों और रीढ़ सहकारी सोसायटी को पुराने नोट बदलने की इजाजत दिए जाने की मांग को लेकर प्रधानमंत्री से मुलाकात की। इससे पहले सरकार की पुरानी सहयोगी पार्टी ने नोटबंदी का विरोध कर रही तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी का साथ देकर केंद्र सरकार को असमंजस में डाला था। लेकिन मोदी के मुंह से बाल ठाकरे का नाम सुनकर न सिर्फ पार्टी सांसद बल्कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे भी खुश नजर आए।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक उन्होंने कहा कि सरकार को उन सवालों के जवाब देने चाहिए जो आम आदमी और पार्टी उठा रही है। फिलहाल पार्टी ने अपने विरोध को टालने का फैसला लिया है जो सरकार के लिए बड़ी राहत है। शिवसेना के इस मुद्दे पर पांव पीछे खींचने के बाद अब सरकार का एंजेडा जल्द से जल्द आम आदमी को राहत देना होगा।