Edited By Anil dev,Updated: 04 Sep, 2019 06:31 PM
शिवपुरी जिले के सुमेला गांव के एक दिहाड़ी मजदूर का घर से बाहर निकलना दूभर हो गया है। वह घर से बाहर निकलता है और उन पर कौव्वों का एक झुंड हमला शुरू कर देता है। यह सिलसिला तीन सालों से चल रहा है। कौव्वों के हमले से बचने के लिए शिव केवट हमेशा एक छड़ी...
भोपाल: शिवपुरी जिले के सुमेला गांव के एक दिहाड़ी मजदूर का घर से बाहर निकलना दूभर हो गया है। वह घर से बाहर निकलता है और उन पर कौव्वों का एक झुंड हमला शुरू कर देता है। यह सिलसिला तीन सालों से चल रहा है। कौव्वों के हमले से बचने के लिए शिव केवट हमेशा एक छड़ी लेकर चलता है, लेकिन आसमान में उड़ते कौअे अवसर की तलाश में रहते हैं कि कब उसके सिर पर चोंच से वार करें। केवट ने बताया कि यह सब तीन साल पहले शुरु हुआ था। उसने लोहे की तार में फंसे कौवे के एक बच्चे को बचाने के लिए उठाया लेकिन उसने उसके हाथ में ही दम तोड़ दिया। केवट का कहना है कि इसलिए कौव्वों ने यह समझा कि मैंने उसे मारा।
काश: मैं उन्हें समझा पाता कि मैं केवल उसकी मदद करने की कोशिश कर रहा था। केवट ने कहा, उस दिन के बाद, अब मैं जब भी घर से बाहर निकलता हूं तो अपने बचाव के लिए एक छड़ी हाथ में लेकर निकलता हूं लेकिन फिर भी कई दफा उनके हमले से बच नहीं पाता। 35 वर्षीय दिहाड़ी मजदूर केवट के ठेकेदार काले खटीक ने बताया, च्च्कौवों का दोष दूर करने और इस मुसीबत से छुटकारा पाने के लिए केवट ने एक साल पहले पूजा-पाठ भी करवाया था , लेकिन उससे कोई फायदा नहीं हुआ।
केवट के इस दावे के संबंध में पक्षी विशेषज्ञ अजय गड़ीकर ने इन्दौर से फोन पर बताया कि यह बिल्कुल संभव है क्योंकि पक्षियों की याददाश्त अच्छी होती है । उनकी कई इंद्रियां मनुष्य से अधिक तेज होती हैं इसलिए पक्षियों की कई प्रजातियां हजारों मील तक एक जगह से दूसरी जगह विस्थापित होने के बाद पुन: मूल स्थान पर लौट आती हैं। उन्होंने बताया, कौव्वे एक आदमी को चेहरे से पहचान सकते हैं और पक्षियों में कौव्वे आक्रामक भी होते हैं। उनकी देखने, सुनने की शक्ति मानव से अधिक होती है । सामान्य तौर पर एक कौव्वे की आयु 15-20 साल होती है।