शिवसेना ने की राम मंदिर पर अध्यादेश लाने की मांग

Edited By Yaspal,Updated: 20 Sep, 2018 07:51 PM

shivsena demands ordinance on ram temple

शिवसेना ने एक बार में तीन तलाक देने पर रोक लगाने के लिए केंद्र के अध्यादेश लाने के फैसले का गुरुवार को स्वागत करते हुए सरकार से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए यही मार्ग...

मुंबईः शिवसेना ने एक बार में तीन तलाक देने पर रोक लगाने के लिए केंद्र के अध्यादेश लाने के फैसले का गुरुवार को स्वागत करते हुए सरकार से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए यही मार्ग अपनाने को कहा। उद्धव ठाकरे की अगुआई वाली पार्टी ने कहा कि सरकार को देश के हिंदुओं की भावनाओं का ध्यान देखते हुए उनसे किए गए कम से कम एक वायदे को पूरा करने के लिए कदम उठाना चाहिए।

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केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को एक बार में तीन तलाक देने की प्रथा को प्रतिबंधित करने के लिए एक अध्यादेश को मंजूरी दी है। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि अध्यादेश लाने की ‘अपरिहार्य जरूरत’ थी, क्योंकि उच्चतम न्यायालय के ‘तलाक-ए-बिद्दत’ को अवैध ठहराने के बावजूद यह जारी थी। शिवसेना ने पार्टी मुख पत्र ‘सामना’ में कहा, "सरकार ने एक बार में तीन तलाक देने को अपराध बनाकर मुस्लिम महिलाओं के जीवन में आजादी की सुबह सुनिश्चित की है। अब अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का शंखनाद कर सत्ताधीशों को देखना चाहिए कि देश के हिंदुओं की जनभावना का भी सूर्योदय हो।"

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केंद्र और महाराष्ट्र में भाजपा की सहयोगी पार्टी ने कहा, "राम मंदिर पर अध्यादेश लाएं और हिंदुओं से किया गया कम से कम एक वचन पूर्ण करें।" इसने रेखांकित किया कि पहले गठबंधन की राजनीति की मजबूरियों के कारण समान नागरिक कानून, जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाने और राम मंदिर निर्माण जैसे वायदे पूरे नहीं किए जा सके थे। पार्टी ने कहा, "लेकिन अब केंद्र और उत्तर प्रदेश में आपकी पूर्ण बहुमत की सरकारें हैं, फिर भी प्रभु श्रीराम का वनवास क्यों समाप्त नहीं हो रहा?" राम मंदिर-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद का मसला अदालत में लंबित होने की ध्यान दिलाते हुए शिवसेना ने कहा कि अदालत जब निर्णय देगी, तब देगी, लेकिन सरकार को हिंदुओं की भावनाओं से जुड़े मामले का हल निकाला चाहिए।

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पार्टी ने एक साथ तीन तलाक देने पर लाए गए अध्यादेश का स्वागत किया, लेकिन आश्चर्य जताया कि उन मुसलमानों में इस कदम को कितना स्वीकार किया जाएगा, जिनकी आंखों पर धर्म की पट्टी पड़ी हुई है और वे कट्टर हैं। सम्पादकीय में दावा किया गया, "धार्मिक रूप से असहाय मुस्लिम विवाहिताओं को इस अध्यादेश से लाभ मिलेगा और एक खराब परंपरा से मुक्ति मिल सकेगी।" किसी भी पार्टी और सरकार का नाम लिए बिना पार्टी ने आरोप लगाया कि वोट बैंक की राजनीति की वजह से भारत में इस मध्य युग की कुरीति से मुस्लिम महिलाओं को मुक्त कराने की कोई ईमानदार कोशिश नहीं की गई।

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