उद्धव ठाकरे और शरद पवार की नजदीकियों ने बढ़ाई BJP की चिंता

Edited By Anil dev,Updated: 07 Jan, 2020 06:36 PM

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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने जेएनयू में हिंसा की तुलना 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले से की है। इस बयान के बाद भाजपा हैरान परेशान हैं। क्योंकि जो शिवसेना कभी कट्टर हिंदुत्व की छवि रखती थी, वो अब हिंदुत्व से इतर, सेकुलरिज्म का...

नई दिल्लीः  महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने जेएनयू में हिंसा की तुलना 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले से की है। इस बयान के बाद भाजपा हैरान परेशान हैं। क्योंकि जो शिवसेना कभी कट्टर हिंदुत्व की छवि रखती थी, वो अब हिंदुत्व से इतर, सेकुलरिज्म का चोला ओड़ने को बेताब है। उद्धव ठाकरे के इस बयान का कांग्रेस पार्टी के पूर्व महासचिव ने समर्थन करते हुए कहा कि यह भाजपा की छात्र ईकाई की तरफ से विश्वविद्यालयों पर हुआ आतंकी हमला है। लेकिन जब शरद पवार और उद्धव ठाकरे के बीच में तालमेल की बात आती है, तो कांग्रेस के नेता भी मौन धारण कर लेते हैं।

पवार के हाथ की कतपुतली बन गये हैं उद्धव ठाकरे
भाजपा नेता महाराष्ट्र में हार के लिए एक तरफ तो पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के रवैय को जिम्मेदार  मान रहें है। दूसरी तरफ उद्धव ठाकरे को पवार के हाथ की कतपुली भी बता रहें है। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी शिवसेना पर कोई तंज कसने का मौका नहीं छोड़ रहें हैं। उनका कहना है कि उद्धव ठाकरे को सोचना चाहिए कि, उनकी पार्टी सरकार में सबसे बड़ा दल है। भाजपा नेता शिवसेना पर तंज कसते हुए कहते है कि शिवसेना को भले ही मुख्यमंत्री पद मिल गया हो लेकिन उनकी पार्टी को और क्या मिला। वहीं, एन सी पी के पास सभी बड़े विभाग है। जो कुछ मलाईदार विभाग बच गये हैं , उन पर कांग्रेस का कब्जा है।

कांग्रेस के कुछ नेता नाराज
कांग्रेस नेताओं के एक खेमें का मानना है कि राज्य में विभागों के बंटवारे में पार्टी को नजरअंदाज किया गया है। सोमवार को उद्धव ठाकरे ने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए शरद पवार के नाम पर विचार किए जाने की वकालत कीं। वहीं, कांग्रेस नेताओं का मानना है कि उन्हें महाराष्ट्र में शरद पवार के सामने बाला साहब थोराट की जगह  किसी सक्षम नेता की जरूरत है। क्योंकि शरद पवार महाराष्ट्र में शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस के गठबंधन वाली सरकार के संकट मोचक के तौर पर स्थापित होते जा रहे हैं। वहीं दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय के एक वरिष्ठ नेता का मानना है कि सब कुछ ठीक चल रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी महाराष्ट्र को लेकर संवेदनशील हैं। वह राज्य में राजनीतिक हालत पर बारीकी से नजर बनायें हुए हैं। 

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