आप नेता संजय सिंह को सुप्रीम कोर्ट से झटका, गैर जमानती वारंट के खिलाफ सुरक्षा देने से इनकार

Edited By Yaspal,Updated: 02 Feb, 2021 07:13 PM

shock to aap leader sanjay singh from supreme court

सुप्रीम कोर्ट ने लखनऊ में दर्ज एक प्राथमिकी के आधार पर राज्यसभा सदस्य संजय सिंह के खिलाफ जारी गैर जमानती वारंट से सांसद को सुरक्षा देने से मंगलवार को इनकार कर दिया। सिंह ने पिछले साल 12 अगस्त को एक संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया था कि उत्तर प्रदेश...

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने लखनऊ में दर्ज एक प्राथमिकी के आधार पर राज्यसभा सदस्य संजय सिंह के खिलाफ जारी गैर जमानती वारंट से सांसद को सुरक्षा देने से मंगलवार को इनकार कर दिया। सिंह ने पिछले साल 12 अगस्त को एक संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया था कि उत्तर प्रदेश सरकार समाज के एक विशेष वर्ग का समर्थन कर रही है, जिसके बाद लखनऊ में यह प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

आप नेता ने संवाददाता सम्मेलन के बाद उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में अपने खिलाफ दर्ज कई प्राथमिकियों को रद्द किए जाने के लिए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि ये प्राथमिकियां ‘‘दुर्भावनापूर्ण तरीके से राजनीतिक बदले की भावना के तहत दर्ज'' की गई थीं।

सिंह ने एक अन्य याचिका में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 21 जनवरी के उस फैसले को भी चुनौती दी है, जिसमें अदालत ने 12 अगस्त, 2020 के संवाददाता सम्मेलन के बाद लखनऊ में दर्ज प्राथमिकी रद्द करने से इनकार कर दिया था। न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति आर एस रेड्डी की पीठ ने मंगलवार को इस मामले पर सुनवाई के दौरान कहा कि वह उच्च न्यायालय के आदेश का अध्ययन किए बिना कोई आदेश पारित नहीं करेगी।

अदालत ने सिंह की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विवेक तन्खा और वकील समीर सोढी से कहा कि वे उच्च न्यायालय के फैसले की प्रति उसे मुहैया कराएं। जब तन्खा ने शीर्ष अदालत से अपील की कि सिंह को लखनऊ में दर्ज प्राथमिकी के आधार पर उनके खिलाफ जारी गैर जमानती वारंट के से सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए, तो पीठ ने कहा कि वह मामले की सुनवाई कर रही निचली अदालत के समक्ष पेशी से छूट का अनुरोध कर सकते हैं।

पीठ ने सिंह की याचिका पर फिलहाल कोई भी नोटिस जारी करने से इनकार कर दिया और मामले की आगे की सुनवाई अगले सप्ताह के लिए टाल दी। सिंह ने याचिका में कहा है, ‘‘संबंधित संवाददाता सम्मेलन में याचिकाकर्ता ने केवल निश्चित सामाजिक मुद्दे और बिना नाम लिए सरकार द्वारा समाज के एक विशेष वर्ग के प्रति सहानुभूति रखने जैसे सवाल उठाए थे।'' आप नेता ने कहा है कि संवाददाता सम्मेलन के बाद उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के थानों में भाजपा के सदस्यों के इशारे पर उनके खिलाफ कई प्राथमिकी दर्ज की गईं।

 

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