Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 May, 2018 11:45 PM
रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कहा कि उधार ली गई प्रौद्योगिकी पर रक्षा उपकरणों का विनिर्माण नहीं किया जा सकता और भारत के लिए रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण एजेंडे के शीर्ष पर होना चाहिए। उल्लेखनीय है कि भारत विश्व में हथियारों के सबसे बड़े...
नई दिल्ली: रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कहा कि उधार ली गई प्रौद्योगिकी पर रक्षा उपकरणों का विनिर्माण नहीं किया जा सकता और भारत के लिए रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण एजेंडे के शीर्ष पर होना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि भारत विश्व में हथियारों के सबसे बड़े आयातकों में से एक है। सीतारमण ने सरकार की ‘ मेक इन इंडिया ’ पहल का हवाला देते हुए कहा , ‘ रक्षा उपकरणों का सबसे बड़ा खरीदार भारत के होने के नाते स्वदेशीकरण पर जोर दोहराया जाना चाहिए। 2014 से ठीक यही हो रहा है।
रक्षामंत्री ने एक कार्यक्रम में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए कहा कि रक्षा उपकरणों के विनिर्माण में स्वदेशीकरण एजेंडे के शीर्ष पर होना चाहिए। डीआरडीओ के अध्यक्ष एस क्रिस्टोफर ने कहा कि संगठन अब मानवरहित लड़ाकू विमान ‘ घातक ’ के लिए इंजन हासिल कर चुका है और युद्धपोतों पर डीआरडीओ के सेंसर तथा हथियार रखने पर काम कर रहा है जिनका निर्यात किया जाए।
देश ने वर्ष 1998 में किए गए पोखरण परमाणु परीक्षणों की इस साल 20 वीं वर्षगांठ मनाई। पोखरण परमाणु परीक्षणों को सफलतापूर्वक अंजाम देने के लिए डीआरडीओ के वैज्ञानिकों की सराहना करते हुए सीतारमण ने कहा कि इन परमाणु परीक्षणों की किसी को भनक तक नहीं लगी जबकि दुनिया निगाह रखे हुए थी और हमारे ऊपर पाबंदियां लगी हुई थीं। रक्षामंत्री ने कहा कि उस समय सभी के अंदर एक प्रतिबद्धता थी और हमने इसे (परीक्षण) बड़ी शांति के साथ कर लिया।
पोखरण परमाणु परीक्षणों के बाद अमरीका के नेतृत्व वाले पश्चिम ने भारत पर प्रतिबंध लगा दिए थे। इस अवसर पर डीआरडीओ के वैज्ञानिकों को पुरस्कृत भी किया गया। नीति आयोग के सदस्य एवं रक्षामंत्री के पूर्व वैज्ञानिक सलाहकार वीके सारस्वत को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया।