Edited By Niyati Bhandari,Updated: 24 Apr, 2019 12:39 PM
श्री सत्य साई बाबा अक्सर कहा करते थे समुद्र का स्वाद चखने के लिए सारे समुद्र को पीने की आवश्यकता नहीं यानी सुखी व शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत करने के लिए मनुष्य को सभी वेदों इत्यादि को
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श्री सत्य साई बाबा अक्सर कहा करते थे समुद्र का स्वाद चखने के लिए सारे समुद्र को पीने की आवश्यकता नहीं यानी सुखी व शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत करने के लिए मनुष्य को सभी वेदों इत्यादि को पढऩे की आवश्यकता नहीं। इसके लिए किसी एक आध्यात्मिक शिक्षा को जीवन में आत्मसात करना ही काफी है। बाबा कहते थे-
आत्मा हमारा गुरु एवं मार्गदर्शक है। अगर हम अपनी आत्मा की आवाज सुनेंगे तो हम अच्छे इंसान बन सकते हैं। इसके लिए व्यक्ति में दृढ़ संकल्प होना आवश्यक है।
ईश्वर पर विश्वास करें, क्योंकि मानव जाति के लिए ईश्वर एक है, बेशक उसे अनेक नामों से पुकारा जाता हो।
सभी धर्मों का आदर करें क्योंकि कोई भी धर्म बुरी बात नहीं सिखाता।
राष्ट भक्त बनें। जिस देश में रहते हैं उसके कानून का पालन करें।
हृदय को स्वच्छ रखें तो चरित्र अपने आप सुंदर होगा। अगर चरित्र सुंदर है तो घर समृद्ध होगा, देश खुशहाल बनेगा, विश्व में शांति होगी।
न हम मस्तिष्क हैं और न हम शरीर हैं, हमारे भीतर एक आत्मा है जिसने हमारे शरीर को अस्थायी रूप से बनाया है और हम जब अपनी आत्मा की प्रशंसा करते हैं तो जो हमारे भीतर भगवान है उसे जान सकते हैं।
शांति की गहराइयों में ही ईश्वर की आवाज सुनी जा सकती है।
दिन का प्रारंभ करो प्रेम से दिन पूर्ण करो प्रेम से दिन को विराम दो प्रेम से।
आप सदैव आभार तो प्रकट नहीं कर सकते मगर नम्रता से बोल तो सकते हैं।
मानवता से भाई-बहन का और परमात्मा से माता-पिता का रिश्ता रखो।
शिक्षा का अनुपम उपहार-चरित्र है। विज्ञान का अनुपम उपहार सेवा है।
Watch
W- Watch your word
A- Watch your Action
T- Watch your Thought
C- Watch your Character
H- Watch your Heart
सत्य, धर्म, शांति, प्रेम, अहिंसा व देश प्रेम की भावना का संदेश देने वाले भगवान श्री सत्य साई बाबा 24 अप्रैल, 2011 को इस नश्वर संसार को त्याग कर ब्रह्मलीन हो गए और पीछे छोड़ गए करोड़ों अनुयायी जो बाबा के उपदेशों से मार्गदर्शन प्राप्त कर रहे हैं।