Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Apr, 2018 02:29 PM
पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने स्कूली शिक्षा का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वर्तमान सरकार का ध्यान सिर्फ पुस्तक बदलने, इतिहास बदलने की कवायद तक सीमित है और पिछले...
नेशनल डेस्क: पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने स्कूली शिक्षा का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वर्तमान सरकार का ध्यान सिर्फ पुस्तक बदलने, इतिहास बदलने की कवायद तक सीमित है और पिछले चार वर्षो में उसने स्कूली शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने की सोच नहीं दिखायी। शिक्षा का अधिकार कानून के लागू होने के आठ वर्ष पूरे होने पर पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि इस सरकार का ध्यान स्कूली पाठ्यपुस्तक में पंडित नेहरू के स्थान पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय को लाने तक सीमित है।
स्कूली शिक्षा का राजनीतिकरण कर रही सरकार
सिब्बल ने कहा कि यह सरकार स्कूली शिक्षा का राजनीतिकरण कर रहे हैं। इस सोच के साथ शिक्षा की गुणवत्ता को कैसे बेहतर किया जा सकता है? आज देश के समक्ष अहम विषय यह है कि परिवर्तन कैसे लाया जाए? कौशल विकास के कार्य को कैसे तेजी से आगे बढ़ाया जाए? उन्होंने कहा कि जब पूरे विश्व में स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव हो रहे हैं, ऐसे में केंद्र की वर्तमान सरकार ने पिछले चार साल में इस बारे में कुछ नहीं सोचा, यह दुखद है।
शिक्षा की गुणवत्ता एक बड़ी चुनौती
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अगर हम हाल की रिपोर्ट को देखे तो यह बात स्पष्ट होती है कि छठी कक्षा का बच्चा दूसरी..तीसरी कक्षा की पुस्तकों को नहीं पढ़ पा रहा है। शिक्षा की गुणवत्ता एक बड़ी चुनौती है और सरकार को इस पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए। सिब्बल ने कहा कि संप्रग सरकार के दौरान जब उन्होंने मंत्रालय संभाला था तब 12वीं कक्षा पास करके विश्वविद्यालय जाने वाले बच्चों की सकल नामांकन दर :जीईआर: 12.4 प्रतिशत थी । उस समय वैश्विक औसत जीईआर 27 प्रतिशत था। इस दिशा में तब की सरकार ने ठोस नीति तैयार की और उसी का परिणाम है कि आज जीईआर 24 प्रतिशत हो गई है। इसमें और अधिक वृद्धि की गुंजाइश है तथा सरकार को इस दिशा में गंभीरता से ध्यान देना चाहिए ।