Edited By Tanuja,Updated: 27 Jan, 2022 08:16 PM
ब्रिटेन में सिख और कश्मीरी संगठनो ने 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस को "ब्लैक डे" के रूप मनाया व बड़े पैमाने पर भारत ...
लंदन ( सरबजीत सिंह बानूर) : ब्रिटेन में सिख और कश्मीरी संगठनों ने 26 जनवरी (गणतंत्र दिवस) को "ब्लैक डे" के रूप मनाया व बड़े पैमाने पर भारत विरोधी प्रदर्शन किया। कनाडा, अमेरिका, लंदन, इटली और यूरोप में भी भारतीय दूतावासों के बाहर, सिख, कश्मीरी, सिक्किम और असम के संगठनों ने भारत विरोधी नारे लगाए और भारतीय संविधान को स्वीकार करने से इंकार किया। इसी तरह, वाशिंगटन डीसी में भारत विरोधी लोगों ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनादर किया। उन्होंने महात्मा गांधी की प्रतिमा के हाथों में खालिस्तान का झंडा लगा रखा था।
कनाडा में भारतीय दूतावास के बाहर भारत विरोधी प्रदर्शन की अगुवाई वैंकूवर के बी. सी. गुरुद्वारा कौंसिल, समूह सिख संगठनों एवं भारत सरकार द्वारा बैन सिख फॉर जस्टिस (SJF) संगठन ने की और एक अलग देश की मांग को सही ठहराते हुए भारत विरोधी नारे लगाए। इस दौरान गुरु नानक सिख गुरुद्वारा साहिब के मुख्य सेवादार हरदीप सिंह निझार व बड़ी संख्या में एकत्रित सिखों ने खालिस्तान का झंडा फहराया और खालिस्तान जिंदाबाद और बंदी संघ के पक्ष में नारे लगाए।
उधर, लंदन दूतावास के बाहर भी भारत विरोधी प्रदर्शन किया गया जिसमें कुलवंत सिंह मुत्तदा, बलजिंदर सिंह ढिल्लों, सरबजीत सिंह बर्मिंघम, लवसिंदर सिंह दलवाल, निर्मल सिंह संधू, जोगा सिंह बर्मिंघम, जसपाल सिंह सलोह, पियरे कॉर्बिन, जसपाल सिंह बैंस, मनप्रीत सिंह खालसा, गुरचरण सिंह दल खालसा, अमरीक सिंह सहोता भी शामिल हुए। इस दौरान सिख और कश्मीरी प्रवक्ताओं ने कहा कि पंजाब और कश्मीर के लोगों ने भारतीय संविधान को लागू करके अपने आत्मनिर्णय के अधिकार का दुरुपयोग किया है।
आत्मनिर्णय परिषद के समन्वयक रंजीत सिंह सराय ने कहा कि एक भयानक मानवाधिकार रिकॉर्ड के साथ सैन्य शासन का सामना करने के लिए दृढ़ संकल्प और साहस की आवश्यकता होती है, लेकिन सिखों और कश्मीरियों ने साबित कर दिया है कि उनकी स्वतंत्रता की इच्छा अटूट है। राय ने कहा कि पंजाब और कश्मीर में संघर्ष का शांतिपूर्ण समाधान हासिल करने के लिए दुनिया को तुरंत भारत को जवाबदेह ठहराना चाहिए और उसे अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत अपने दायित्वों का पालन करने के लिए मजबूर करना चाहिए।