Edited By Anil dev,Updated: 23 Jan, 2020 05:22 PM
एक बार फिर प. बंगाल की माकपा इकाई पार्टी महासचिव सीताराम येचुरी की राज्यसभा में एंट्री चाहती है, वह भी कांग्रेस की मदद से क्योंकि माकपा ही नहीं पूरे वाम मोर्चा को भी मिला लिया जाए तो उनके पास इतने विधायक नहीं हैं कि वे अपने दम पर येचुरी को राज्यसभा...
कोलकाता: एक बार फिर प. बंगाल की माकपा इकाई पार्टी महासचिव सीताराम येचुरी की राज्यसभा में एंट्री चाहती है, वह भी कांग्रेस की मदद से क्योंकि माकपा ही नहीं पूरे वाम मोर्चा को भी मिला लिया जाए तो उनके पास इतने विधायक नहीं हैं कि वे अपने दम पर येचुरी को राज्यसभा के लिए नामित कर सकें। माकपा की राज्य इकाई के नेताओं का कहना है कि येचुरी का 2005 से लेकर 2017 के बीच राज्यसभा सदस्य के तौर पर शानदार रिकॉर्ड रहा है और पार्टी उन्हें राज्यसभा चुनाव में नामित करना चाहती है।
माकपा के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि असाधारण परिस्थिति में असाधारण कदम उठाने पड़ते हैं। देश असाधारण मुश्किल हालात से गुजर रहा है और हमें मोदी सरकार की नीतियों का विरोध करने के लिए संसद में एक मजबूत आवाज की आवश्यकता है। इस काम के लिए येचुरी से बेहतर कोई व्यक्ति नहीं हो सकता। इस समय बातचीत जारी है, देखते हैं कि क्या होता है। राज्य विधानसभा में माकपा की मौजूदा संख्या के अनुसार वह किसी को अपने दम पर राज्यसभा में नामित नहीं कर सकती। माकपा नेता ने कहा, ‘‘हमें कांग्रेस के समर्थन की आवश्यकता है। हमें उम्मीद है कि यदि येचुरी उम्मीदवार होंगे तो हमें यह समर्थन मिल जाएगा।’’ राज्य में कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘यदि येचुरी उम्मीदवार बनाए जाते हैं, तो सोनिया गांधी और राहुल गांधी के येचुरी के साथ समीकरण को देखते हुए मुझे नहीं लगता कि इस बार भी हमें कोई समस्या होगी।’’
2017 में माकपा ने ठुकराया था प्रस्ताव
पुनॢनर्वाचन के लिए 2017 में भी येचुरी का नाम सामने आया था और तब तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी पश्चिम बंगाल से उनके नामांकन को समर्थन देने के इच्छुक थे, लेकिन माकपा नेतृत्व ने उन पार्टी नियमों का हवाला देते हुए इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था कि ऊपरी सदन के लिए लगातार 3 बार किसी सदस्य को नामित नहीं किया जा सकता।