Edited By Yaspal,Updated: 19 Jan, 2020 07:07 PM
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कुछ राज्यों द्वारा संशोधित नागरिकता कानून को लागू नहीं करने के प्रस्ताव को ‘असंवैधानिक'' करार दिया और कहा कि यह सभी राज्यों की जवाबदेही है कि वे संसद में पारित कानून को लागू करना सुनिश्चित करें....
चेन्नईः केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कुछ राज्यों द्वारा संशोधित नागरिकता कानून को लागू नहीं करने के प्रस्ताव को ‘असंवैधानिक' करार दिया और कहा कि यह सभी राज्यों की जवाबदेही है कि वे संसद में पारित कानून को लागू करना सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा, ‘‘एक राज्य की विधानसभा ने सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया है। यह राजनीतिक बयानबाजी करने जैसा है। हम उसे समझ सकते हैं।'' वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘लेकिन यह कहना कि वे इसे लागू नहीं करेंगे, कानून के खिलाफ है। ऐसा कहना असंवैधानिक है।''
सीएए पर ‘चेन्नई सिटीजन्स फोरम' की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम में दर्शकों द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में सीतारमण ने कहा कि केरल जैसे कुछ राज्यों ने अपने यहां सीएए को लागू करने का विरोध किया है। मंत्री ने कहा, ‘‘किसी राज्य की विधानसभा सीएए लागू नहीं करने का प्रस्ताव पारित कर सकती है। यह राजनीतिक बयानबाजी है। वे आगे बढ़ सकते हैं और हम ऐसा करने से उन्हें नहीं रोक सकते।'' उन्होंने कहा, ‘‘इस देश में हर किसी की जिम्मेदारी है कि संसद में पारित कानून को लागू करे।'' वह कानून के समर्थन में भाजपा के देशव्यापी कार्यक्रम ‘जनजागरण अभियान' में यहां हिस्सा लेने आई हैं।
उन्होंने कहा कि पिछले छह वर्ष में 2838 पाकिस्तानी शरणार्थियों, 914 अफगानी शरणार्थियों, 172 बांग्लादेशी शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दी गई है, जिनमें मुस्लिम भी शामिल है। 1964 से 2008 तक 4,00,000 से अधिक तमिलों (श्रीलंका से) को भारतीय नागरिकता दी गई है। वित्त मंत्री ने बताया कि साल 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के 566 मुस्लिमों को भी भारत की नागरिकता दी गई है।
वित्त मंत्री ने कहा कि 391 अफगान मुस्लिम और 1595 पाकिस्तानी प्रवासियों को 2016 से 2018 तक नागरिकता दी गई। 2016 में इस अवधि के दौरान, अदनान सामी को नागरिकता दी गई थी, यह एक उदाहरण है। तस्लीमा नसरीन इसका एक और उदाहरण हैं। इससे हमारे ऊपर लगे सभी आरोप गलत साबित होते हैं।
केरल की सरकार ने पिछले हफ्ते सीएए के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था और इसे ‘‘संविधान में वर्णित समता, स्वतंत्रता और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन करने वाला'' घोषित करने की मांग की थी। केरल, राजस्थान, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र सहित कई राज्यों ने सीएए से असहमति जताई है।