Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Apr, 2018 03:45 PM
दक्षिण कश्मीर में कुलगाम के वानी मोहल्ला इलाके में चल रहे एनकाउंटर में तीन नागरिकों की मौत हो गई। इसमें दो नाबालिग भी शामिल हैं।
श्रीनगर : दक्षिण कश्मीर में कुलगाम के वानी मोहल्ला इलाके में चल रहे एनकाउंटर में तीन नागरिकों की मौत हो गई। इसमें दो नाबालिग भी शामिल हैं। दर्जनों लोग पैलेट गन से घायल हो गए। 14 वर्षीय इलाही संगम और 16 साल के बिलाल अहमद दार और 30-32 साल के शर्जील अहमद की मौत की खबर से पूरे कश्मीर में तनाव पैदा हो गया है। गांव के लोग एनकाउंटर में लगी पुलिस का विरोध कर रहे हैं। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए की गई गनफायर में ये तीनों मौतें हुई हैं। 14 साल के इलाही फैसल की मौत के बाद कुलगाम ही नहीं बल्कि श्रीनगर के दूसरे इलाकों में भी पत्थरबाजी शुरू हो गई।
पुलिस प्रवक्ता के अनुसार पुलिस ने यहां 11 बजे एनकाउंटर शुरू किया था। वहां लश्कर-ए-तोयबा के दो-तीन आतंकियों के छिपे होने की खबर पुलिस को मिली थी। तभी से ये एनकाउंटर शुरु हुई। इससे ज्यादा उन्होंने कुछ भी बताने से मना कर दिया है।
जगह-जगह पत्थराव
बटमालू में रहने वाले यूसुफ (बदला हुआ नाम) के अनुसार कुलगांव में तीन नागरिकों की मौत के बाद से माहौल खराब होता दिख रहा है। खासतौर पर 14 और 16 साल के बच्चे की मौत के बाद बटमालू में भी पत्थरबाजी शुरू होने की तैयारी हो गई। यूसुफ ऑटो चालक हैं। उन्होंने बताया कि वे सुबह ही ऑटो लेकर घर से निकल गए थे, लेकिन करीब 12 बजे उनके घर से फोन आया कि वे दोपहर के खाने के लिए घर न आएं। माहौल खराब है।
दरअसल जब भी पत्थरबाजी होती है तो वहां खड़ी गाडिय़ों के शीशे तोड़ दिए जाते हैं। उनके ऑटो के शीशे कई बार तोड़े जा चुके हैं। टायर पंचर कर दिए जाते हैं। यूसुफ ने बताया कि उनके बेटे ने उनसे कहा कि कुलगाम में दो नाबालिग बच्चों की मौत से माहौल बहुत खराब है। यहां कब पत्थरबाजी शुरू हो जाएगी, किसी को नहीं पता।
डाउन-टाउन में भी खराब हुआ माहौल
दूसरी तरफ फिलहाल शांत चल रहे सबसे विवादित इलाके डाउन-टाउन में भी माहौल खराब हो गया है। यहां के एक स्थानीय निवासी मो. इसरार (बदला हुआ नाम) ने बताया कि इन तीन मौतों से लोगों में काफी गुस्सा है। इसलिए यहां के भी हालात ठीक नहीं लग रहे। उसने कहा कि एन.आइ.ए. कहती है कि फंडिंग की वजह से पत्थरबाजी होती है। हो सकता है पहले यह कारण रहा हो, लेकिन अब ऐसा नहीं है। इसी तरह की घटनाएं लोगों के भीतर गुस्सा पैदा करती हैं और लोग विरोध के लिए सडक़ों पर उतर आते हैं। अब इस घटना के बाद कल की खबरें आप पढि़एगा, कालेजों में पत्थरबाजी शुरू भी हो गई है। इसरार ने कहा कि जब छोटे-छोटे बच्चे पुलिस की गोलियों से मरते हैं और खबर लोगों तक पहुंचती है तो हाथ खुद-ब-खुद पत्थर खोजने लगते हैं।
कम नहीं हुई है पत्थरबाजी
उसने कहा कि भारत सरकार लगातार दावा कर रही है कि जब से फंडिंग में लगाम लगाई गई है पत्थरबाजी कम हुई है। लेकिन इन दावों की हकीकत ऐसी घटनाओं के बाद पता चलती है। जो गोली खाने को तैयार हो उसकी काउंसलिंग नहीं होती। इतना तो मुझे भी पता है।
काउंसलिंग के बाद भी बच्चे करते हैं पत्थराव
बटमालू के स्थानीय निवासी यूसुफ ने बताया कि कल ही बटमालू में एक वर्कशॉप हुई थी, जिसमें पत्थरबाज बच्चों और उनके अभिभावकों से पुलिस अधिकारियों ने बातचीत की। मनोवैज्ञानिकों ने उनकी काउंसलिंग की, लेकिन आप देखिएगा अब वही बच्चे आज फिर सडक़ों पर उतरेंगे। दरअसल ये समस्या कोई नशे या ड्रग की नहीं है। ये समस्या राजनीति में पिस रहे लोगों की है। ये काउंसलिंग तो यहां सालों से चल रही है, पर क्या कोई फर्क दिखा। दरअसल जब तक कश्मीर समस्या का स्थायी हल नहीं निकलेगा यहां पत्थरबाजी होती रहेगी।