घाटी में कथित ‘स्नाइपर’ हमलों की हो रही है जांच : जनरल रावत

Edited By Anil dev,Updated: 29 Oct, 2018 03:10 PM

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कश्मीर घाटी में सुरक्षा एजेंसियों के लिए जैश-ए-मोहम्मद आतंकियों का स्नाइपर हमले पर आर्मी चीफ बिपिन रावत ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कि सेना की जांच इस पर जारी है। रावत ने कहा है कि सेना इस बात का पता लगा रही है कि जम्मू-कश्मीर में हाल के दिनों...

नई दिल्ली: कश्मीर घाटी में सुरक्षा एजेंसियों के लिए जैश-ए-मोहम्मद आतंकियों का स्नाइपर हमले पर आर्मी चीफ बिपिन रावत ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कि सेना की जांच इस पर जारी है। रावत ने कहा है कि सेना इस बात का पता लगा रही है कि जम्मू-कश्मीर में हाल के दिनों में हताहत हुए सुरक्षाकर्मी कहीं स्नाइपर (अचूक निशानेबाज) हमले में तो नहीं मारे गए। जनरल रावत ने सोमवार को यहां एक रक्षा पोर्टल द्वारा आयोजित कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं के साथ बातचीत में कहा ,जम्मू कश्मीर में हमारे कुछ सुरक्षाकर्मी हताहत हुए हैं। ये हमले स्नाइपर ने किए थे या नहीं अभी इसका पता लगाया जा रहा है। हमें अभी स्नाइपर का हथियार नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि स्नाइपर हमले के बारे में अभी कोई प्रमाण नहीं मिला है और कुछ कहना जल्दबाजी होगी। 

कुछ लोगों को दी जा रही है ट्रेनिंग
रावत ने कहा कि इस तरह की रिपोर्ट है कि कुछ लोगों को ट्रेनिंग दी जा रही है। यदि वे वास्तव में हैं तो यह चिंता का विषय है। अपने घरवालों से मिलने जा रहे पुलिसकर्मी को घाटी में आतंकवादियों द्वारा घेर कर मारे जाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि जब कोई निहत्थे व्यक्ति पर हथियार उठाता है तो समझ लो कि वह हताश है। आतंकवादी हताश हैं और अपनी मौजूदगी दर्ज कराना चाहते हैं। आतंकवादियों ने जम्मू कश्मीर पुलिस के एक उप निरीक्षक को उस समय घेर कर मार डाला जब वह अपनी निजी गाड़ी में अपने घरवालों से मिलने जा रहे थे। इससे पहले तीन जवानों के आतंकवादियों के हमले में मारे जाने पर संदेह जताया जा रहा है कि उन पर हमला स्नाइपर ने किया था।

जरूरतों के अनुसार बनाने होंगे हथियार 
 इससे पहले अपने संबोधन में जनरल रावत ने कहा कि सेना बदलाव के दौर से गुजर रही है। उन्होंने कहा कि हमें बदलती परिस्थितियों के अनुरूप ढलना होगा, वरना हम खत्म हो जाएंगे। मौजूदा जरूरतों के अनुसार हमें अपने हथियार भी बनाने होंगे और दूसरों पर निर्भरता कम करनी होगी। भारत हथियारों और रक्षा उपकरणों का सबसे बड़ा निर्यातक है। अब समय आ गया है कि हमें अपनी घरेलु क्षमताओं को बढाना होगा। दो रक्षा गलियारों की घोषणा इस दिशा में अच्छा कदम है। सीमा सड़क संगठन को भी दुर्गम क्षेत्रों और प्रतिकूल परिस्थितियों में काम करने के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी हासिल करनी होगी। कुछ देशों ने हमारे साथ प्रौद्योगिकी साझा करने की मंशा जतायी है।  

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