Edited By vasudha,Updated: 27 Jun, 2020 03:27 PM
देश में कोविड-19 का प्रकोप तेजी से बढ़ने के बीच मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि वैश्विक महामारी कुछ मामलों में वायरस से संक्रमित पाए गए लोगों में तीव्र घबराहट पैदा करती है जो कई बार अवसाद का रूप ले लेती है और कुछ लोगों को तो आत्महत्या के...
नेशनल डेस्क: देश में कोविड-19 का प्रकोप तेजी से बढ़ने के बीच मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि वैश्विक महामारी कुछ मामलों में वायरस से संक्रमित पाए गए लोगों में तीव्र घबराहट पैदा करती है जो कई बार अवसाद का रूप ले लेती है और कुछ लोगों को तो आत्महत्या के कगार पर भी ले जाती है। विशेषज्ञों के मुताबिक घबराहट, संक्रमण का भय, अत्यधिक बेचैनी, निरंतर आश्वासन की मांग करते रहने वाला व्यवहार, नींद में परेशानी, बहुत ज्यादा चिंता, बेसहारा महसूस करना और आर्थिक मंदी की आशंका लोगों में अवसाद एवं व्यग्रता के प्रमुख कारक हैं।
नौकरी चले जाने का भय, आर्थिक बोझ, भविष्य को लेकर अनिश्चितता और भोजन एवं अन्य जरूरी सामानों के खत्म हो जाने का डर इन चिंताओं को और बढ़ा देता है। कोविड-19 के प्रकोप के बाद से ऑनलाइन मंचों पर भी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर मदद मांगने वालों की संख्या बढ़ती हुई देखी गई है। इनमें बेचैनी से लेकर अकेलेपन और अपनी उपयोगिता से लेकर नौकरी चले जाने की चिंता जैसी तमाम समस्याएं शामिल हैं।
मानसिक स्वास्थ्य संस्थान में निदेशक, डॉ आर पूर्णा चंद्रिका ने बताया कि अप्रैल अंत तक करीब 3,632 फोन आए और 2,603 कॉलर को मनोरोग परामर्श दिया गया। उन्होंने कहा कि हमारे पास जिलों में अपने केंद्रों पर समर्पित सेवाएं हैं और सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों के लिए आने वाली कॉल को संबंधित संस्थानों को भेज दिया जाता है।
राज्य में वायरस संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं और इसमें से अधिकांश मामले शहर से होने की वजह से ग्रेटर चेन्नई कॉर्पोरेशन ने भी निशुल्क हेल्पलाइन शुरू की है जो निवासियों को महामारी के दौरान तनाव से निपटने में मदद कराएगी। मनोचिकित्सकों का मानना है कि और बिगड़ती स्थितियों के कारण मानसिक स्वास्थ्य की समस्या और गंभीर हो सकती है जिससे आत्महत्या करने की प्रवृत्ति भी बढ़ सकती है।