Edited By Riya bawa,Updated: 04 Apr, 2020 01:17 PM
कोरोना वायरस जैसे खतरनाक फैलते संक्रमण के कारण अब सोशल डिस्टेंसिंग का दायरा भी बढ़ाना होगा। अमेरिका के...
नई दिल्लीः कोरोना वायरस जैसे खतरनाक फैलते संक्रमण के कारण अब सोशल डिस्टेंसिंग का दायरा भी बढ़ाना होगा। अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) के वैज्ञानिकये ने बताया है कि ये दायरा 1- 2 फीट नहीं, बल्कि कम से कम 27 फीट (लगभग आठ मीटर) की दूरी बनानी होगी। क्योंकि संक्रमित व्यक्ति के ड्रॉपलेट्स (छींक और खांसी के कण) में मौजूद वायरस 27 फीट की दूरी तय कर सकता है। मतलब अगर कोई संक्रमित व्यक्ति आपसे 26 फीट की दूरी पर है और वह छींक रहा है तो यह संभव है कि उसका ड्रॉपलेट आप तक पहुंच जाए और आप संक्रमण की चपेट में आ जाएं। न्यूयॉर्क पोस्ट में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक प्रोफेसर ने शोध में आया कि ड्रॉपलेट्स में मौजूद सभी तरह के आकारों वाले कण 23 से 27 फीट की दूरी तय कर सकते हैं। यही नहीं, हवा में वायरस लंबे समय तक जिंदा रहता है।
डब्ल्यूएचओ ने भी शोध को सराहा
यूएसए टुडे के मुताबिक विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सोशल डिस्टेंसिंग के नए शोध का स्वागत लिया है। संस्था की ओर से कहा गया कि वह कोरोना से जुड़े सभी शोध और अध्ययनों पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। अगर इससे जुड़ा कोई अन्य सबूत मिलता है तो वह आगे इसमें बदलाव करने पर विचार कर सकते हैं।