Edited By Seema Sharma,Updated: 07 Aug, 2018 10:58 AM
कहीं मोबाइल की तेज स्पीड आपकी नींद में खलल तो नहीं डाल रही है। वैज्ञानिकों ने एक नए शोध के बाद दावा किया है कि तेज गति वाले ब्रॉडबैंड और मोबाइल इंटरनैट की वजह से आपकी नींद 25 मिनट तक घट सकती है। इटली के मिलान में बोकोनी विश्वविद्यालय ने अपने शोध में...
लंदन: कहीं मोबाइल की तेज स्पीड आपकी नींद में खलल तो नहीं डाल रही है। वैज्ञानिकों ने एक नए शोध के बाद दावा किया है कि तेज गति वाले ब्रॉडबैंड और मोबाइल इंटरनैट की वजह से आपकी नींद 25 मिनट तक घट सकती है। इटली के मिलान में बोकोनी विश्वविद्यालय ने अपने शोध में पाया है कि जिन लोगों के इंटरनैट की स्पीड अच्छी होती है वे ऑनलाइन ज्यादा समय बिताते हैं। अच्छी स्पीड की वजह से वे सोने की बजाय रात में देर तक वीडियो देखने, गेम खेलने या सोशल मीडिया पर लगे रहते हैं। इस आदत की वजह से करीब लाखों लोग देर से सो रहे हैं लेकिन अगले दिन ऑफिस, स्कूल या कॉलेज जाने की वजह से उन्हें जल्दी उठना पड़ता है। इससे उनकी नींद के घंटे कम होते जा रहे हैं। शोध में पाया गया कि जिन लोगों के पास अच्छी इंटरनैट सेवा है, उनके लिए कम से कम 7 घंटे की नींद लेना भी मुश्किल हो गया है। शोधकर्त्ताओं ने इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए जर्मनी में ब्रॉडबैंड स्पीड और लोगों की नींद से जुड़ी आदतों के सर्वे की समीक्षा की।
कम नींद से बढ़ता है तनाव
बर्मिंघम विश्वविद्यालय के शोध के मुताबिक 8 घंटे से कम नींद लेने पर तनाव और डिप्रैशन की समस्या बढ़ सकती है। अगर स्वस्थ नींद नहीं लेते हैं तो नकारात्मक विचार आपके दिमाग से बाहर नहीं निकल पाते हैं।
93 प्रतिशत भारतीय नींद की कमी के शिकार
20 प्रतिशत बढ़ गया है नींद से जुड़ी थैरेपी का बाजार
58 प्रतिशत भारतीयों का काम नींद की वजह से प्रभावित हो रहा
इंटरनैट उपयोग में भारत दूसरे नम्बर पर
50 करोड़ इंटरनैट उपयोगकर्त्ता हैं भारत में
29.5 करोड़ शहरी लोग इंटरनैट का इस्तेमाल कर रहे देश में
75 करोड़ के करीब उपयोगकर्त्ता चीन में
रात में देर से सोना लेकिन सुबह जल्दी उठना
प्रोजैक्ट प्रमुख फ्रांसिस्को बिलारी का कहना है कि डिजीटल लालच की वजह से लोग देर से सोने जा रहे हैं। इसकी भरपाई वे सुबह देर तक सो कर नहीं कर सकते क्योंकि उनकी दिनचर्या इसकी अनुमति नहीं देती। अमरीकी रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र अनुसार एक-तिहाई लोगों का कहना है कि वे नियमित पर्याप्त नींद नहीं ले पाते। ब्रिटेन में 93 प्रतिशत घरों में अच्छी इंटरनैट सेवा है, जिससे लोग देर से सोते हैं।
बच्चों के लिए ज्यादा नुक्सानदायक
शोधकर्त्ताओं का यह भी कहना है कि बैडरूम का डिजीटलाइजेशन होना एक ङ्क्षचता की बात है। खासतौर से इससे बच्चों की नींद प्रभावित होने की आशंका ज्यादा है और इसका सीधा प्रभाव उनकी पढ़ाई पर पड़ेगा।
युवाओं की पहली पसंद
इकोनॉमिक बिहेवियर एंड आर्गेनाइजेशन जर्नल में छपे शोध में यह सामने आया है कि 13 से 30 साल के लोगों को सोशल मीडिया ज्यादा पसंद है। 31 से 59 साल के लोगों को इंटरनैट पर सर्च करना ज्यादा पसंद है।