WhatsApp जासूसी मामला: सिर्फ मिस्ड कॉल से एक सेकेंड में शुरू हो जाता था खेल

Edited By Anil dev,Updated: 02 Nov, 2019 11:00 AM

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सोशल मीडिया एप व्हाट्सएप के जरिए दुनिया के 1400 से ज्यादा लोगों की जासूसी की जा रही थी। इनमें 40 से ज्यादा भारतीय पत्रकार, नेता और सामाजिक कार्यकर्ता भी शामिल हैं।

नई दिल्ली: सोशल मीडिया एप व्हाट्सएप के जरिए दुनिया के 1400 से ज्यादा लोगों की जासूसी की जा रही थी। इनमें 40 से ज्यादा भारतीय पत्रकार, नेता और सामाजिक कार्यकर्ता भी शामिल हैं। यह काम व्हाट्सएप पर एक इजरायली फर्म कर रही थी। साऊदी अरब सहित कई सरकारें इसकी क्लाइंट हैं। यह मालवेयर एक मिस्डकाल से एक सेकेंड में ही मोबाइल फोन में इंस्टाल हो जाता था तथा डिवाइस में मौजूद सारी जानकारियां हासिल कर सकता था। खुलासा होने के बाद भारत सहित पूरी दुनिया में हड़कम्प मचा है...। 

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ऐसे हुआ खुलासा
29 अक्तूबर 2019 को व्हाट्सएप ने सेन फ्रांसिस्को के कोर्ट में केस दायर किया कि इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप व्हाट्सएप का इस्तेमाल अमरीका और अन्य देशों में लोगों के मोबाइल फोन में स्पाईवेयर भेजने के लिए कर रहा है। इसके अगले दिन वाशिंगटन पोस्ट में व्हाट्सएप (फेसबुक मालिकाना) के हेड विल केथकार्ट ने ओप-एड लिखा। इसमें उन्होंने बताया कि जिन्हें निशाना बनाया गया है उनमें 100 से ज्यादा मानवाधिकार की लड़ाई लडऩवे वाली, पत्रकार और सिविल सोसाइटी के लोग हैं। 

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व्हाट्सएप ने की पहचान
व्हाट्सएप ने स्पाईवेयर अटैक करने वाली कंपनी की पहचान एनएसओ ग्रुप के रूप में की है। इस स्पाईवेयर का नाम पेगासॉस है। व्हाट्सएप ने अमरीकी फेडरल कोर्ट में इजरायली कंपनी के खिलाफ प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने और 75 हजार डॉलर से अधिक आर्थिक क्षति का केस दायर किया है।

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क्या कर सकता है पेगासॉस
पेगासॉस स्पाईवेयर वह फोन में आने वाला और जाने वाला सारा कंटेंट पढ़ और ट्रांसमिट कर सकता है तथा फोन कैमरे का इस्तेमाल कर सकता है। जिन्हें निशाना बना गया, उनमें न्यायविद, पत्रकार, मानवाधिकार कार्यकर्ता, राजनीतिक विरोधी, राजदूत और वरिष्ठ सरकारी अधिकारी शामिल हैं। 

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किसके लिए जासूसी
इजरायली मीडिया के मुताबिक एनएसओ ग्रुप की सेवाएं लेने के लिए साऊदी अरब ने 5.5 करोड़ डॉलर खर्च किए। यूएई के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की जासूसी की गई। खासकर उनकी जो बहरीन और साऊदी अरब में कार्यरत हैं। यह भी कहा जा रहा है कि पत्रकार जमाल खशोगी को भी इसी स्पाईवेयर से ट्रैक किया गया था। मैक्सिको के ड्रग माफिया पर काम करने वाले पत्रकारों की भी पेगासॉस के जरिए जासूसी करवाई गई। हालांकि 2016 की प्राइस लिस्ट के मुताबिक एनएसओ ग्रुप अपने एक ग्राहक से करीब 4.6 करोड़ रुपए (650,000 डॉलर) लेता था। 


एनएसओ को जानें
इजारायल का एनएसओ ग्रुप साइबर खुफिया कंपनी है। पहले इसे क्यू साइबर टेक्नॉलोजी के नाम से जाना जाता था। यह ऑनलाइन जासूसी करती है। इसे इजरायली सेना से सेवानिवृत्त अधिकारियों ने शुरू किया था। 


भारत में दलित नेता निशाने पर
भारत में जिन लोगों की जासूसी पेगासॉस से कराई गई उनमें राजनीतिक विरोधी दलित नेता, वकील, मानवाधिकार कार्यकर्ता और वकील शामिल हैं। इनमें तीन वकील वे हैं जो एल्गार परिषद केस लड़ रहे हैं, जबकि एक व्यक्ति वह था जो 2 जनवरी 2018 को कोरेगांव में दलित रैली में हुई हिंसा में मारा गया। इनके अलावा छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले तीन कार्यकर्ता, दो ऐसे पत्रकार जो दलित उत्पीडऩ के मामले में केस लड़ रहे हैं, शामिल हैं। यह माना जा रहा है कि भारत में जिनकी जासूसी करवाई गई है, उनकी संख्या 40 से ज्यादा हो सकती है। 


ऐसे काम करता है पेगासॉस
यह व्हाट्सएप वायस और वीडियो कॉल के जरिए मोबाइल फोन में पहुंचता है। आप चाहे कॉल रिसीव करें या न करें। जिन्होंने रात को कॉल नहीं सुनी उन्हें सुबह इसकी कोई जानकारी भी नहीं मिलती कि उनके फोन पर कोई मिसकॉल आया था। फोन में पेगसॉस इंस्टॉल होते ही अपने ऑपरेटर तक हर कॉल की जानकारी, कीपेड इस्तेमाल का रिकार्ड, सभी संदेश और इंटरनेट हिस्ट्री पहुंचाता है। यह खाली समय में मोबाइल फोन का माइक्रोफोन और कैमरा का भी इस्तेमाल करता है। 


पेगासॉस की हिटलिस्ट में भारतीय

  • अंकित ग्रेवाल : चंडीगढ़ निवासी वकील। एल्गार परिषद केस में सुधा भरद्वाज के वकील हैं।
  • आनंद तेलतुम्बड़े : शिक्षाविद और एल्गार परिषद केस में आरोपी।
  • विवेक सुंदर : मुंबई निवासी सामाजिक व पर्यावरण कार्यकर्ता, कबीर कला मंच डिफेंस कमेटी के सदस्य।  
  • बेला भाटिया : छत्तीसगढ़ की मानवाधिकार कार्यकर्ता। 
  • शुभ्रांशु चौधरी : बीबीसी के पूर्व पत्रकार और छत्तीसगढ़ में शांति कार्यकर्ता।
  • अशीश गुप्ता : दिल्ली निवासी द पिपुल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स के कार्यकर्ता।
  • निहाल सिंह राठौड़ : नागपुर निवासी मानवाधिकार कार्यकर्ता और वकील, एल्गार परिषद केस में आरोपी सुरेंद्र गाडलिंग के वकील।
  • सरोज गिरी : दिल्ली यूनिवर्सटी में राजनीति विज्ञान के सहायक प्रोफेसर।
  • देग्री प्रसाद चौहान : छत्तीसगढ़ के दलित अधिकार कार्यकर्ता।
  • सिद्धांत सिब्बल : दिल्ली में वियॉन के रक्षा संवाददाता।
  • रुपाली जाधव : कबीर कला मंच की सदस्य।
  • सीमा आजाद : इलाहाबाद निवासी पीपुल्स यूनियन फार सिविल लिबर्टीज की सदस्य।
  • शालिनी गेरा : एल्गार परिषद केस में वकील और पीयूसीएल छत्तीसगढ़ की सचिव।
  • राजीव शर्मा : नई दिल्ली निवासी स्तम्भकार और विश्लेषक।
  • अजमल खान : दिल्ली निवासी विद्वान जिन्होंने रोहित वेमुला की मौत के बाद प्रदर्शन में हिस्सा लिया था।
  • संतोष भारतीय : चौथी दुनिया के संपादक और फर्रुखाबाद से पूर्व लोकसभा सांसद 

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