Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Apr, 2018 11:01 AM
आर.एस.एस. के नागपुर मुख्यालय में संगठन में हुए फेरबदल के बाद हर कोई यह महसूस कर सकता है कि संघ प्रमुख मोहन भागवत और मोदी सरकार के बीच सब कुछ ठीक-ठाक नहीं। भैयाजी जोशी को स्वास्थ्य ठीक न होने के बावजूद भागवत के नंबर-2 का पद रिकार्ड चौथी बार दिया गया...
नेशनल डेस्कः आर.एस.एस. के नागपुर मुख्यालय में संगठन में हुए फेरबदल के बाद हर कोई यह महसूस कर सकता है कि संघ प्रमुख मोहन भागवत और मोदी सरकार के बीच सब कुछ ठीक-ठाक नहीं। भैयाजी जोशी को स्वास्थ्य ठीक न होने के बावजूद भागवत के नंबर-2 का पद रिकार्ड चौथी बार दिया गया है जो मोदी विरोधी हैं और मोदी के एक अन्य विरोधी मनमोहन वैद्य को संयुक्त महासचिव बनाया गया है। वैद्य गुजरात के एक बार प्रभारी भी थे और मोदी के साथ उनके संबंध बिगड़ गए थे। मोदी के समर्थक चाहते थे कि एक अन्य संयुक्त महासचिव दत्तात्रेय होसबोले को आर.एस.एस. का महासचिव नियुक्त किया जाए मगर मोहन भागवत ने इन अनौपचारिक सुझावों को नहीं सुना और भैयाजी जोशी को एक बार फिर उनका पुराना पद दे दिया।
मोदी यह भी चाहते थे कि होसबोले को भाजपा और आर.एस.एस. के बीच को-आर्डीनेटर बनाया जाए। मौजूदा समय में यह काम कृष्ण गोपाल देख रहे हैं जो पार्टी के एक संयुक्त महासचिव हैं मगर कोई बदलाव नहीं किया गया। पिछले दिनों मोहन भागवत एक पुस्तक का विमोचन करने के लिए दिल्ली आए। उन्होंने वहां मौजूद प्रत्येक व्यक्ति को उस समय स्तब्ध कर दिया जब उन्होंने कहा कि कांग्रेस मुक्त भारत आर.एस.एस. की संस्कृति नहीं, वह तो सभी का सामूहिक विकास चाहते हैं जहां हर कोई उसका हिस्सा हो। भागवत ने ऐसा बयान देने के लिए इस उचित समय का चयन किया जब मोदी सरकार पहले से ही बैकफुट पर है। आने वाले दिनों में आर.एस.एस. क्या कार्रवाई करता है, यह अभी देखना बाकी होगा।