सोमनाथ चटर्जी के पार्थिव शरीर पर नहीं लगाने दिया 'लाल' झंडा, CPM पर भड़का परिवार

Edited By vasudha,Updated: 14 Aug, 2018 01:03 PM

somnath chatterjee family refuse cpm flag

पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी जिस पार्टी के साथ 40 सालों से जुड़े रहे आज उसी के खिलाफ उनके परिवार वालों का गुस्सा देखने को मिला। चटर्जी के परिवार के सदस्यों ने उनके पार्थिव शरीर पर मार्क्‍सवादी कम्‍युनिस्‍ट पार्टी (सीपीएम) का लाल झंडा लगाने से...

नेशनल डेस्क: पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी जिस पार्टी के साथ 40 सालों से जुड़े रहे आज उसी के खिलाफ उनके परिवार वालों का गुस्सा देखने को मिला। चटर्जी के परिवार के सदस्यों ने उनके पार्थिव शरीर पर मार्क्‍सवादी कम्‍युनिस्‍ट पार्टी (सीपीएम) का लाल झंडा लगाने से इंकार कर दिया। यही नहीं श्रद्धांजलि देने आए पार्टी के नेताओं को भी घर से जाने को कह दिया। 

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चटर्जी की बेटी अनुशिला ने आज कहा कि उनके पिता को माकपा से निकाले जाने के बाद ‘बहुत पीड़ा’ हुई थी लेकिन उन्होंने पार्टी के खिलाफ कभी कुछ नहीं बोला। पार्टी से निष्कासन के बाद हमें उनकी पीड़ा और व्यथा नजर आती थी।  अनुशिला ने कहा कि हम माकपा से कोई शिष्टाचार नहीं चाहते। उल्लेखनीय है कि भारत-अमेरिका परमाणु करार के मुद्दे पर संप्रग सरकार से माकपा के समर्थन वापस लेने के बाद चटर्जी को लोकसभा के अध्यक्ष पद से (पार्टी द्वारा) इस्तीफा देने को कहा गया था लेकिन उन्होंने उसकी बात नहीं मानी। इस पर उन्हें माकपा ने निष्कासित कर दिया था। 

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पूर्व लोकसभा अध्यक्ष की बटी ने बताया कि माकपा नेताओं ने पार्थिव शरीर पर पार्टी का झंडा रखने का प्रस्ताव रखा लेकिन हमें मंजूर नहीं था। इस दौरान पश्चिम बंगाल माकपा के कुछ नेताओं को चटर्जी के बेटे प्रताप के गुस्से का शिकार होना पड़ा। प्रताप ने कहा कि आपने मेरे पिता का इस्तेमाल किया और अब आप सहानुभूति दिखाने आये हैं। यह नौटंकी बंद कीजिए।

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माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, पोलित ब्यूरो सदस्य सूर्यकांत मिश्रा, बिमान बोस और कई अन्य नेता चटर्जी के घर पर पहुंचे। जब यह पूछा गया कि पोलितब्यूरो के कथन में चटर्जी को कामरेड नहीं बताया गया जबकि प्रदेश समिति के बयान में ऐसा किया गया, तो येचुरी ने कहा कि बतौर पार्टी हम उनके निधन पर शोक प्रकट करते हैं। यह लोकतंत्र के लिए बहुत बड़ा नुकसान है। उनके मार्गदर्शन की आज भी जरुरत है। मेरा उनके परिवार के साथ अच्छा संबंध रहा है। वैसे पार्टी के एक धड़े ने चटर्जी को पार्टी में फिर से शामिल नहीं कर पाने पर अफसोस प्रकट किया। 
 

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