Edited By Seema Sharma,Updated: 26 Aug, 2018 09:39 AM
सोनिया गांधी का स्वास्थ्य ठीक नहीं और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी काम के बढ़ते दबाव से निपटने की कोशिश कर रहे हैं जिससे पार्टी के युवा प्रबंधक ङ्क्षचतित हैं। यद्यपि राहुल के अनधिकृत राजनीतिक सचिव और पूर्व आई.ए.एस. अधिकारी के.राजू व्यवस्था को...
नेशनल डेस्कः सोनिया गांधी का स्वास्थ्य ठीक नहीं और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी काम के बढ़ते दबाव से निपटने की कोशिश कर रहे हैं जिससे पार्टी के युवा प्रबंधक ङ्क्षचतित हैं। यद्यपि राहुल के अनधिकृत राजनीतिक सचिव और पूर्व आई.ए.एस. अधिकारी के.राजू व्यवस्था को संभालने में अहम भूमिका निभा रहे हैं मगर परिस्थितियां अभी ठीक होनी हैं। वजन कम होने के कारण सोनिया गांधी ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किला जाने की अपनी योजना रद्द कर दी थी। डाक्टरों ने उन्हें गर्म और नमी वाले मौसम में कहीं भी न जाने की सलाह दी है। उनका वजन घट कर 45 कि.ग्रा. रह गया है। यद्यपि सोनिया ने राफेल मामले को लेकर 10 अगस्त की सुबह संसद में सांसदों के साथ नारेबाजी की मगर वह बहुत ही कमजोर दिखाई दे रही थीं।
एस.पी.जी. कमांडोज को स्थिति से निपटने में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ा। सोनिया इसलिए वहां गईं क्योंकि राहुल गांधी उस दिन सुबह जयपुर के लिए रवाना हो गए थे और सोनिया को पार्टी सांसदों को उत्साहित करने के लिए जाना पड़ा। ऐसी स्थिति में पार्टी में अटकलें जोरों पर हैं कि प्रियंका गांधी को अब बड़ी भूमिका मिलने जा रही है क्योंकि यह चुनावी वर्ष है और राहुल गांधी देश भर की यात्रा कर रहे हैं। प्रियंका को उत्तर प्रदेश के मामलों पर ध्यान केन्द्रित करना होगा जहां पार्टी का अजेय भाजपा के साथ मुकाबला है। प्रियंका का पार्टी में कोई आधिकारिक पद नहीं, मगर उनकी हर बात को सभी मानते हैं। उनका प्रत्यक्ष राजनीतिक भूमिका में आधिकारिक प्रवेश समय की मांग है।
उन्होंने करुणानिधि की अन्त्येष्टि में हिस्सा लिया था। एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए प्रियंका ने मुम्बई में उद्यमियों के संगठन की महिलाओं को संबोधित करने का फैसला किया था। यह बैठक बंद कमरे में हुई थी। प्रियंका ने भावुक भाषण देकर वहां महिलाओं की वाहवाही लूटी। महिलाएं रोती हुई देखी गईं। यह पहला अवसर है कि मुम्बई के बड़े क्लब ने प्रियंका के बोलने की क्षमता को महसूस किया। अगर पार्टी ने उन्हें प्रत्यक्ष भूमिका देने का फैसला किया तो वह सार्वजनिक रूप से खुद बाहर आ जाएंगी और कांग्रेस की जीतने की संभावनाएं निश्चित तौर पर बढ़ेंगी।