Edited By Yaspal,Updated: 22 Jun, 2019 06:57 PM
लोकसभा के नवनिर्वाचित अध्यक्ष ओम बिड़ला ने पहले ही दिन सदन को अपने तेवरों का अहसास करा दिया है। प्रश्नकाल में ज्यादातर सवाल पर दूसरे सदस्यों को पूरक सवाल पूछने का मौका नहीं दिया तो कार्यवाही के दौरान बातचीत करने वाले
नेशनल डेस्कः लोकसभा के नवनिर्वाचित अध्यक्ष ओम बिड़ला ने पहले ही दिन सदन को अपने तेवरों का अहसास करा दिया है। प्रश्नकाल में ज्यादातर सवाल पर दूसरे सदस्यों को पूरक सवाल पूछने का मौका नहीं दिया तो कार्यवाही के दौरान बातचीत करने वाले सांसदों को सख्त लहजे में गैलरी में जाकर बातचीत करने का निर्देश दिया। स्पीकर ने दो टूक शब्दों में नियम को परंपरा के ऊपर बताया और कहा कि भविष्य में सदन की कार्यवाही परंपरा से नहीं नियम से चलेगी।
प्रश्नकाल में ज्यादा सवाल लेना प्राथमिकता
17वीं लोकसभा के पहले सत्र के पहले कामकाजी दिन नए स्पीकर ने कई सख्त संदेश दिए। मसलन पहली बार प्रश्नकाल के दौरान बेहद कम सदस्यों को पूरक सवाल पूछने का मौका मिला।सूची में सवाल जिनके नाम से लगे थे, ज्यादातर उन्हीं सांसदों को सवाल पूछने का मौका मिला। हालांकि इस दौरान पॉक्सो एक्ट पर जब पूरक सवाल पूछने का मौका नहीं आया तो एनसीपी की सुप्रिया सुले सहित कई सांसदों ने विरोध जताया। इस पर स्पीकर ने कहा कि वह प्रश्नकाल में ज्यादा से ज्यादा सवाल लेना चाहते हैं। उनकी कोशिश भविष्य में सूची में शामिल सभी 20 सवालों के जवाब कराने की है।
सांसदों को लगाई फटकार
प्रश्नकाल के बाद तीन तलाक बिल पेश होने के दौरान स्पीकर ने सदन में बातचीत कर रहे सांसदों को कड़ी फटकार लगाई। पहले तो उन्होंने सदन में बातचीत न करने की सलाह दी। स्थिति पहले की तरह रहने पर कहा कि वह ऐसे सदस्यों का नाम लेंगे, बेहतर है कि ऐसे सदस्य गैलरी में जाकर बात करें। गौरतलब है कि स्पीकर द्वारा नाम लेने पर सांसद स्वतः दिन भर के लिए निलंबित हो जाते हैं।
सदन परंपरा से नहीं नियम से चलेगी
नई लोकसभा में सालों से चली आ रही पहले राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा कराने की परंपरा इस बार टूट गई। सरकार ने पहले ही दिन तीन तलाक बिल पेश किया। इस बारे में स्पीकर से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि परंपरा नियम से बड़ी नहीं होती। यह टूटती है। भविष्य में लोकसभा परंपरा से नहीं नियम से चलेगी।
स्पीकर ने कहा कि प्ले कार्ड्स लहराना, वेल में हंगामा करना वह बर्दाश्त नहीं करेंगे। इसके लिए जरूरत पड़ी तो नियम में संसोधन करेंगे, जहां तक बोलने का अवसर दिए जाने की बात है तो वह शून्य काल में सभी को बोलने का मौका देंगे। चाहे एक घंटे की जगह ढाई घंटे तक शून्यकाल चलाना पड़े।