Edited By vasudha,Updated: 06 Apr, 2021 09:21 AM
देश की सत्ता पर काबिज भाजपा पर आज दो लोगों की पार्टी होने के आरोप लग रहे हैं। आज 41 साल की हो चुकी भाजपा की "सियासी बोहनी " भी दो नेताओं ने ही करवाई थी। आज भले पार्टी और पार्टी के समर्थकों में इन दोनों का कोई नाम लेवा न हो लेकिन पार्टी का इतिहास जब...
नेशनल डेस्क(संजीव शर्मा): देश की सत्ता पर काबिज भाजपा पर आज दो लोगों की पार्टी होने के आरोप लग रहे हैं। आज 41 साल की हो चुकी भाजपा की "सियासी बोहनी " भी दो नेताओं ने ही करवाई थी। आज भले पार्टी और पार्टी के समर्थकों में इन दोनों का कोई नाम लेवा न हो लेकिन पार्टी का इतिहास जब जब खंगाला जाएगा तो उन दो सांसदों के नाम जरूर चर्चा में आएंगे जिन्होंने पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश में कांग्रेस की आंधी के बावजूद भाजपा का खाता खोल कर लाज बचाई थी।इस चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी जैसे सूरमा भी चुनाव हार गए थे लेकिन चंदूपाटिया रेड्डी और ए के पटेल अपनी सीट जीतने में कामयाब रहे थे। आइए आज इन दो नेताओं और दोनों की लोक सभा सीटों के नतीजों के बारे में जानते हैं।
हनामकोडा सीट से जीते थे रेड्डी
इंदिरा सहानूभूति लहर के बावजूद आंध्र प्रदेश की हनामकोड़ा सीट पर बीजेपी के चंदूपाटिया रेड्डी ने जीत का परचम लहराया था।इससे भी बड़ी बात यह थी कि चंदू पाटिया ने कांग्रेस के बड़े नेता नरसिम्हा राव को पटखनी दी थी। पीवी नरसिम्हा राव को 209564 जबकि 263762 वोट मिले थे और नरसिम्हा राव चुनाव हार गए थे। इस तरह पीवी नरसिम्हा राव 54 हज़ार 198 वोट से हार गए थे। एक और समीकरण देखिये कि उससे पहले और बाद में बीजेपी कभी हनामकोड़ा सीट पर नहीं जीती। बाद में पीवी नरसिम्हा राव देश के प्रधानमंत्री भी रहे।
महसाणा से जीते थे पटेल
इस चुनाव के दौरान गुजरात के महसाणा में बीजेपी के ए. के. पटेल ने कांग्रेस के आर.एस. कल्याणभाई को हराया था। पटेल को 2लाख 87 हज़ार 555 और कांग्रेस के रायनका सागरभाई कल्याणभाई को 2लाख 43 हज़ार 659 वोट मिले थे। इस तरह पटेल 43 हज़ार 896 वोट से विजयी हुए थे। इसके बाद के कई चुनावों में यह सीट पटेल के खाते में ही दर्ज रही पटेल ने यहां 1989,91,96 और 98 में जीत हासिल की।वर्तमान में महसाणा सीट से बीजेपी की जयश्री बेन सांसद हैं।
----क्या बीजेपी ने बिसरा दिए लाज रखने वाले
चंदूपाटिया रेड्डी की उम्र इस समय 83 साल है। वे वर्तमान में वारंगल जिला के परकाला में रहते हैं। चंदूपाटिया 1967-72, 1978–83 और 1983-84 के बीच आंध्र प्रदेश विधानसभा के सदस्य भी रहे हैं। इसी तरह ए. के. पटेल भी पांच बार महसाणा से सांसद रहे। पटेल अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में रसायन एवं उर्वरक मंत्री भी रहे। लेकिन यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि आज बीजेपी की तमाम साइट्स और फेसबुक पेज पर इन दो दिग्गजों का कोई उल्लेख नहीं मिलता।
इंदिरा सुहानुभूति लहर ने डुबो डाला था
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद पूरे देश में कांग्रेस और राजीव गांधी के लिए संवेदनाओं का समंदर उमड़ रहा था। ऐसे में बीजेपी के सामने निश्चित तौर पर बड़ी चुनौती थी। बीजेपी ने 20 राज्यों में कुल 224 सीटों पर उम्मीदवार उतारे। जब नतीजा आया तो सब हतप्रभ थे। कुल दो सीटें मिलीं। 108 सीटों पर पार्टी प्रत्याशियों की ज़मानत ज़ब्त हो गयी थी। अटल बिहारी वाजपेयी को इस चुनाव में माधव राव सिंधिया ने उन्हें ग्वालियर में एक लाख 75 हज़ार 594 वोट से हराया था। हालाँकि पार्टी को कांग्रेस की लहर का आभास तो था लेकिन फिर भी इतनी बुरी हार का अनुमान नहीं था। राजीव गांधी ने 404 सीटों के साथ कांग्रेस सरकार बनाई थी।
कौन हारा किससे हारा कहाँ से हारा
वाजपेयी माधव राव सिंधिया से ग्वालियर
उमा भारती विद्यावती चतुर्वेदी से खजुराहो
संतोष गंगवार आबिदा अहमद से बरेली
राजनाथ सिंह उमाकांत मिश्र मिर्जापुर
मुरली मनो.जोशी हरिश्चंद्र सिंह से अल्मोड़ा
राम जेठमलानी सुनील दत्त से बॉम्बे नॉर्थवेस्ट
प्रमोद महाजन गुरदास कामत से बॉम्बे नार्थईस्ट
वी के मल्होत्रा ललित माकन से दिल्ली साऊथ
मदन लाल खुराना जगदीश टाइटलर से दिल्ली सदर
बंडारू दत्तात्रेय टी अंजैया से सिकंदराबाद
लालजी टंडन शीला कौल लखनऊ
सत्य नारायण जाटिया एस. एन. पंवर विदिशा
बीजेपी तब और अब
वर्ष चुनाव लड़ा जीती ज़मानत जब्त कुल वोट वोट प्रतिशत
1984 224 02 108 18202853 7.74 %
2014 428 282 62 171660230 31. 34 %