सट्टा बाजार : घट सकती हैं NDA की सीटें

Edited By Seema Sharma,Updated: 14 Mar, 2019 09:12 AM

speculative market nda seats may fall

बारिश के पूर्वानुमान और क्रिकेट से लेकर राजनीति तक भारत में सट्टा बाजार अपने अलग तरह के सिस्टम पर काम करता है। लोकसभा चुनावों की घोषणा के साथ ही सटोरिए और बुकी भी सक्रिय हो गए हैं।

मुंबई: बारिश के पूर्वानुमान और क्रिकेट से लेकर राजनीति तक भारत में सट्टा बाजार अपने अलग तरह के सिस्टम पर काम करता है। लोकसभा चुनावों की घोषणा के साथ ही सटोरिए और बुकी भी सक्रिय हो गए हैं। इस बार सट्टा बाजार में एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एन.डी.ए.) जीत के करीब नजर आ रहा है। हालांकि बाजार की मानें तो 2014 के मुकाबले इस बार भाजपा की सीटों में कमी आ सकती है, लेकिन फिर भी वह गठबंधन के साथियों संग बहुमत का जादुई आंकड़ा छूने में कामयाब रहेगी। दूसरी ओर बहुजन समाज पार्टी व कुछ अन्य दलों के संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यू.पी.ए.) से बाहर रहने के फैसले से कांग्रेस की जीत को लेकर बाजार में कोई खास उत्साह नहीं है।


पुलवामा ने बदले सियासी हालात
सट्टा बाजार के सूत्रों के अनुसार पुलवामा हमले के बाद एयर स्ट्राइक ने देश के भीतर का सियासी माहौल बदल दिया है। इससे पहले तक भाजपा की जीत को लेकर बाजार के जानकार कोई खास कयास नहीं लगा रहे थे। तब के हालात में भाजपा के 200 से 235 तक सीटें जीतने का अनुमान लगाया जा रहा था लेकिन एयर स्ट्राइक के बाद सटोरिए भाजपा को 245 से 251 और एन.डी.ए. गठबंधन को 300 के करीब सीटें मिलने का अनुमान लगा रहे हैं।


सट्टा बाजार में भाजपा और कांग्रेस का भाव
सटोरिए भाजपा के लिए 1 के मुकाबले 1 रुपए का ही भाव दे रहे हैं। वहीं एयर स्ट्राइक से पहले कांग्रेस की जीत पर बाजार का भाव 1 के मुकाबले 7 रुपए था, जो इसके बाद बढ़कर 1 के मुकाबले 10 रुपए का हो गया है।

ऐसे समझें बाजार का गणित
1 के मुकाबले 1 रुपए का भाव दर्शाता है कि बाजार भाजपा के सत्ता में वापसी के प्रति पूरी तरह आश्वस्त है। वहीं 1 के मुकाबले 7 या 10 रुपए के भाव बताते हैं कि सटोरिए भी कांग्रेस की जीत पर दाव खेलने को तैयार नहीं हैं और उन्हें लगता है कि कांग्रेस इस बार भी सत्ता हासिल करने में नाकाम रहेगी। हालांकि यह बेहद शुरूआती रुझान हैं। सटीक भाव बड़े राजनीतिक दलों द्वारा प्रत्याशियों के नामों की घोषणा, चुनावी घोषणा पत्र जारी करने और बाजार में बड़ी मात्रा में पैसा लगने पर ही हासिल होंगे। सटोरिए राज्यों में दलों के प्रदर्शन और लोकसभा सीटों के आधार पर भी बाजार में पैसा आने की उम्मीद कर रहे हैं।

2014 में इतना था भाव
पिछले चुनावों में सटोरिए भाजपा की जीत का अनुमान तो लगा रहे थे, लेकिन किसी को भी मोदी मैजिक के अपने दम पर 272 से ज्यादा सीटें हासिल करने का अंदेशा नहीं था। ऐसे में भाजपा को 200 सीटों के लिए 22 पैसे, 210 सीटों के लिए 57 पैसे और 225 सीटों के लिए 1 रुपए 87 पैसे का भाव दिया गया था। वहीं कांग्रेस को 70, 75 और 85 सीटों के लिए क्रमश: 24, 58 पैसे और 1 रुपए 60 पैसे का भाव दिया गया था। एक अनुमान के अनुसार पिछले चुनावों में नतीजे आने तक सट्टा बाजार 60 हजार करोड़ रुपए के टर्नओवर का गवाह बना था। पी.एम. के लिए भी मार्कीट ने तब नरेन्द्र मोदी को 42 पैसे, राहुल गांधी को 6.5 रुपए और अरविन्द केजरीवाल को 500 रुपए का भाव दिया था।

किसान और व्यापारी भी प्रभावित करेंगे परिणाम
सटोरियों की मानें तो व्यापारी और किसान वर्ग भाजपा सरकार से बहुत ज्यादा खुश नहीं है। व्यापारी जहां नोटबंदी और जी.एस.टी. को लेकर खफा हैं, वहीं किसान फसलों का उचित समर्थन मूल्य नहीं मिलने और सरकार द्वारा घोषित कल्याणकारी योजनाओं के सही क्रियान्वयन नहीं होने से नाराज हैं।


प्रियंका डाल सकती हैं प्रभाव
वैसे तो बाजार कांग्रेस के सरकार बनाने में नाकाम रहने को लेकर निश्चित है, लेकिन फिर भी कांग्रेस द्वारा प्रधानमंत्री पद के लिए नाम घोषित करने का कुछ सीटों पर प्रभाव पड़ सकता है। सटोरियों के अनुसार प्रियंका गांधी को पी.एम. फेस घोषित करने पर ही ऐसा संभव हो सकता है।


पंजाब में कांग्रेस, हरियाणा-राजस्थान में भाजपा मजबूत
सट्टा बाजार से जुड़े लोगों की मानें तो अभी तक जो रिपोर्ट आ रही है उसमें ओवरऑल भाजपा मजबूत है लेकिन पंजाब में स्थिति उलट है। यहां 10 सीटों में से 8 पर कांग्रेस को मजबूत माना जा रहा है। वहीं राजस्थान में 25 में से 20 सीटों पर भाजपा आगे दिख रही है। हरियाणा में 10 में से 7 पर फिर से भाजपा जीत दर्ज कर सकती है। दिल्ली की 7 संसदीय सीटों में से 6 पर भाजपा की जीत का भाव है। हालांकि प्रत्याशियों की घोषणा के बाद हालात बदल भी सकते हैं।

राजस्थान के फलौदी को फॉलो करते हैं दिल्ली-मुम्बई
वैसे तो देश के प्रत्येक राज्य में सटोरियों का अपना नैटवर्क है, लेकिन राजस्थान का फलौदी चुनाव परिणामों के कयास लगाए जाने का सबसे बड़ा केन्द्र है। देश की आर्थिक राजधानी होने के नाते मुम्बई और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को सट्टा कारोबारियों का गढ़ कहा जाता है और देशभर के राजनीतिक दलों के भाव यहीं खुलते हैं लेकिन यहां के भी सभी सट्टा कारोबारी फलौदी से मिलने वाले लिंक या कयासों के आधार पर ही काम करते हैं।

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