स्पर्म या एग डोनर का बच्चे पर किसी तरह का कोई कानूनी अधिकार नहीं : हाई कोर्ट

Edited By Parveen Kumar,Updated: 15 Aug, 2024 09:01 PM

sperm or egg donor has no legal rights over the child high court

बॉम्बे हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि स्पर्म और एग डोनर का बच्चे पर कोई कानूनी अधिकार नहीं हो सकता है। डोनर ऐसे बच्चे का जैविक (बॉयोलॉजिकल) पैरंट्स होने का दावा नहीं कर सकता है।

नेशनल डेस्क : बॉम्बे हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि स्पर्म और एग डोनर का बच्चे पर कोई कानूनी अधिकार नहीं हो सकता है। डोनर ऐसे बच्चे का जैविक (बॉयोलॉजिकल) पैरंट्स होने का दावा नहीं कर सकता है। कोर्ट ने यह फैसला एक 42 वर्षीय महिला को उसकी पांच साल की जुड़वा बेटियों से मिलने का अधिकार देते हुए सुनाया है। कोर्ट ने महिला को वीकेंड (शनिवार और रविवार) में तीन घंटे बेटियों से मिलने की अनुमति दी है। हफ्ते में दो दिन उसे बेटियों से फोन पर बात करने की इजाजत होगी। मुलाकात की यह व्यस्था अस्थायी होगी।

महिला ने याचिका में दावा किया था कि सरोगेसी के जरिए पैदा हुई उसकी बेटिया पति और छोटी बहन के पास रह रही हैं। बहन इस मामले में एग डोनर है। वहीं याचिकाकर्ता के पति ने दावा किया था कि साली (सिस्टर इन लॉ) एग डोनर है, इसलिए उसे जुड़वा बेटियों का पैरंट्स कहलाने का हक है। पत्नी का बेटियों पर कोई अधिकार नहीं है, लेकिन जस्टिस मिलिंद जाधव ने पति के इस तर्क से असहमति जाहिर की।

'डोनर को पैरेंट्स का हक नहीं मिलता है'

मामले में कोर्ट की सहायता के लिए नियुक्त न्याय मित्र ने कहा कि मामले जुड़ी महिला पति से अलग रह रही है। उनका सरोगेसी समझौता 2018 में हुआ था। तब सरोगेसी अधिनियम 2021 लागू नहीं हुआ था। लिहाजा मौजूदा प्रकरण का समझौता आईसीएमआर द्वारा 2005 में जारी दिशा-निर्देशों से नियंत्रित होगा। जस्टिस जाधव ने कहा कि जुड़वा बेटिया याचिकाकर्ता और उसके पति की होगी, क्योंकि दिशा-निर्देशों में साफ है कि डोनर के पास बच्चे के संबंध में कानूनी अधिकार नहीं होगा।

Related Story

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!