SPG ने 200 जवानों को वापस उनके कैडर में भेजा, आतंरिक सुरक्षा के चलते लिया फैसला

Edited By Seema Sharma,Updated: 03 Aug, 2020 10:57 AM

spg sent 200 jawans back to their cadre

स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG) ने अपने 200 कर्मियों को उनके संबंधित सुरक्षा बलों में वापस भेजने का आदेश दिया है। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि हाल में संशोधित संगठन के नए आदेश-पत्र के मुताबिक SPG सिर्फ प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए इस्तेमाल होगी।...

नेशनल डेस्कः स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG) ने अपने 200 कर्मियों को उनके संबंधित सुरक्षा बलों में वापस भेजने का आदेश दिया है। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि हाल में संशोधित संगठन के नए आदेश-पत्र के मुताबिक SPG सिर्फ प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए इस्तेमाल होगी। सुरक्षा प्रतिष्ठान के शीर्ष अधिकारियों ने बताया कि करीब 4000 प्रशिक्षण प्राप्त कमांडो की क्षमता वाले विशिष्ट संगठन ने क्रमिक रूप से अपने कर्मियों को उनके मूल संगठनों में भेजने और आंतरिक सुरक्षा संबंधित विभिन्न सेवाओं में उनके बेहतर इस्तेमाल का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में SPG धीरे-धीरे और कर्मियों को उनके मूल संगठनों में वापस भेजेगी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा के लिए अपनी स्वीकृत क्षमता के सिर्फ 50-60 प्रतिशत से काम करेगी। उन्होंने कहा कि यह पहला मौका है जब संगठन ने एक बार में इतने कर्मियों और अधिकारियों को उनके मूल संगठनों में वापस भेजा है। 

 

1985 में हुई थी SPG की स्थापना
SPG की स्थापना 1985 में हुई थी और इसमें विभिन्न अर्धसैनिक या केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और कुछ राज्य पुलिस इकाइयों और केंद्रीय खुफिया एजेंसियों के सदस्यों को प्रतिनियुक्ति पर रखा जाता है। कैबिनेट सचिवालय द्वारा शनिवार को जारी आदेश के मुताबिक SPG की विभिन्न संचालन इकाइयों में तैनात करीब 200 कर्मियों को एजेंसी में उनका “विस्तारित सेवाकाल पूरा होने पर” उनकी मूल इकाइयों में भेज दिया गया है। इस सूची में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के कम से कम 86 अधिकारी और कर्मी, सीमा सुरक्षा बल के 45, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के 23, सशस्त्र सीमा बल के 24, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के 17 कर्मियों के अलावा रेलवे सुरक्षा बल, राजस्थान पुलिस और खुफिया ब्यूरो के कुछ कर्मचारी शामिल हैं। अधिकारियों ने कहा कि एसपीजी में नए कर्मियों को शामिल किए जाने में भी काफी कमी आएगी क्योंकि बल के जिम्मे अभी सिर्फ एक शख्सियत की सुरक्षा का जिम्मा है। 

 

आंतरिक सुरक्षा के चलते लिया फैसला
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सरकार की ऐसी इच्छा थी कि SPG अधिनियम में संशोधन और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी, उनके बेटे राहुल गांधी और बेटी प्रियंका गांधी वाड्रा से SPG सुरक्षा घेरा वापस लिए जाने के बाद, बल से कार्यमुक्त हुए कर्मियों का अपने मूल काम के लिए बेहतर इस्तेमाल होना चाहिए। अधिकारी ने कहा कि SPG में अपने कार्यकाल के दौरान विशेष प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले ये कर्मी अपने संबंधित बलों की क्षमताओं को और बढ़ाएंगे। उन्होंने कहा कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों को भी निर्देश दिया गया है कि इन कर्मियों की सेवाओं का उपयोग आतंकवाद निरोधी अभियान, नक्सल-विरोधी अभियानों और खुफिया सूचनाओं के संग्रहण जैसे विशेषीकृत कार्यों की योजना और उन्हें अंजाम देने में करें। 

 

पिछले साल SPG अधिनियम में हुआ था संशोधन
केंद्र सरकार द्वारा पिछले साल दिसंबर में SPG अधिनियम में संशोधन के बाद उसके चार्टर को संशोधित किया गया जिसके तहत उसे प्रधानमंत्री और उनके परिवार के सदस्यों की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभानी थी जो उनके साथ आधिकारिक आवास में रह रहे हों। प्रधानमंत्री का आधिकारिक निवास, राष्ट्रीय राजधानी में 7, लोक कल्याण मार्ग है। SPG को प्रधानमंत्री के दफ्तर की सुरक्षा के साथ ही देश-विदेश में उन जगहों की सुरक्षा व्यवस्था का अग्रिम जायजा लेना होता है जहां प्रधानमंत्री के जाने का कार्यक्रम होता है। संशोधन में यह भी तय किया गया था कि एसपीजी पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके साथ उन्हें आवंटित आवास में रह रहे उनके परिवार के करीबी सदस्यों को भी सुरक्षा मुहैया कराएगी। 31अक्तूबर, 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके अपने ही अंगरक्षकों द्वारा हत्या किए जाने के बाद प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए विशेष बल की जरूरत महसूस की गई थी।

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