Edited By Seema Sharma,Updated: 06 Dec, 2018 08:48 AM
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नेशनल डेस्कः अब यह चर्चा है कि इंटैलीजैंस ब्यूरो (आई.बी.) के पूर्व प्रमुख और जम्मू-कश्मीर में केन्द्र के वार्ताकार दिनेश्वर शर्मा की जम्मू-कश्मीर में भूमिका उस समय कम हो गई जब आध्यात्मिक नेता श्री श्री रविशंकर के आर्ट ऑफ लिविंग (ए.ओ.एल.) फाऊंडेशन ने कश्मीर के मामलों में दखल देना शुरू कर दिया। घाटी में यशवंत सिन्हा और अन्य ग्रुप भी सक्रिय रहे मगर शर्मा उस समय बहुत बेचैन हुए जब श्री श्री रविशंकर पहली बार जम्मू-कश्मीर आए।
23 नवम्बर को ए.ओ.एल. ने नॉर्वे के पूर्व प्रधानमंत्री कजेल मांगने बोंडेविक की श्रीनगर में कट्टर, अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के साथ बैठक में मध्यस्थता की थी। यह बैठक केन्द्र की स्वीकृति के बिना सम्भव नहीं थी, इसके बाद शर्मा की ताकत बारे प्रश्न उठने लगे। नॉर्वे के प्रतिनिधि ने श्रीनगर की यात्रा के लिए किसी सुरक्षा की मंजूरी नहीं ली थी। जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल ने ए.ओ.एल. की बात भी ध्यान से सुनी। रविशंकर अक्सर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रशंसा करते रहते हैं।
भाजपा के राम माधव भी जम्मू-कश्मीर के संबंध में कई फैसले ले चुके हैं। अब शर्मा क्रोधित हैं और इस बात को लेकर दुविधा में हैं कि उन्हें घाटी में क्या करना चाहिए लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने उन्हें सांत्वना दी कि वह चुपचाप यहां ठहरे रहें और जो काम कर रहे हैं वह करते रहें। शर्मा इस बात को लेकर हैरान हैं कि ‘मैं क्या कर रहा हूं?’