Edited By shukdev,Updated: 23 Jul, 2019 09:23 PM
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) के लिए तैयार की गई रिर्पोट में कहा है कि राज्य और केंद्रशासित प्रदेश कचरे के प्रबंध के संबंध में एनजीटी के आदेशों का पालन नहीं करते। इनमें कचरा पैदा होने की म़ात्रा शामिल...
नई दिल्ली: केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) के लिए तैयार की गई रिर्पोट में कहा है कि राज्य और केंद्रशासित प्रदेश कचरे के प्रबंध के संबंध में एनजीटी के आदेशों का पालन नहीं करते। इनमें कचरा पैदा होने की म़ात्रा शामिल है जिसे एकत्रित कर उसे मौजूदा परिस्थितियों में कचरे की प्रोसेसिंग, इकट्ठा करने की सुविधा और राज्यों में कचरा जमा करने के स्थानों और उनके सुधार करने की योजनाओं का अभाव है।
रिपोर्ट में कहा गया कि 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से 12 ने अनुप्रचारिक कचरा एकत्र करने वालों के बारे में सूचना एकत्र नही कराई। यद्यपि इन राज्यों में शहरों की कचरा के जीवनचक्र में महत्वपूर्ण भूमिका है। रिपोर्ट में आगे कहा गया कि कम से कम 16 राज्यों ने अपनी रिपोर्ट में कचरे के वैज्ञानिक प्रबंधन के संबंध में सूचना उपलब्ध नहीं कराई जैसी कि अदालत को जरूरत थी।
राज्यों के 31 अक्टूबर 2018 तक NGT को अपनी कार्ययोजनाओं को सौंपना था और 31 दिसंबर 2019 तक निष्पादित कराना है। 12 राज्यों की रिपोर्ट में कचरा के निमार्ण और विध्वंस के बारे में भी कोई सूचना नही थी। ठोस कचरा प्रबंधनCWM नियमों को 2018 में नोटिफाई कर देश भी में स्थानीय विकल्पों को ये अधिकार दिया था कि वे इसका इस्तेमाल करने वाले फीस के बारे में फैसला लें। इन नियमों के तहत नगर पालिका अधिकारियों को भारी कचरा से उसके इकट्ठे करने, निष्पादित करने और प्रसंस्करण करने के लिए इस्तेमाल करने वालों से फीस वसूल करे लेकिन 15 राज्य इस पर कोई स्टेटस रिपोर्ट उपलब्ध कराने में विफल रहे।
NGT ने जनवरी 2019 में प्रत्येक राज्य और केंद्रशाशित प्रदेशों से कहा था कि वे प्रत्येक जिले में चार सदस्यों पर आधारित एक विशेष कार्यबल गठित करें। इन चारों में से एक जिला मजिस्ट्रेट, एक पुलिस अधीक्षक, एक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी द्वारा नामित किया जाए और एक सदस्य SWM नियम 2016 के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण के चैयरमैन के द्वारा नामित किया जाए लेकिन 16 राज्यों ने इस आदेश को अनदेखा कर दिया। NGT ने इस वर्ष अप्रैल में सीपीसीबी को इस वर्ष अप्रैल में रिर्पोट तैयार करने को कहा था।